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This Article is From Nov 28, 2021

Utpanna Ekadashi 2021: क्यों खास माना जाता है उत्पन्ना एकादशी व्रत, जानें महत्व व शुभ मुहूर्त

मान्यता के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) का व्रत रखने का फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या और तीर्थ स्थानों में स्नान दान करने से मिलने वाले फलों से भी ज्यादा अधिक होता है. उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु जी की पूरे भक्ति भाव से पूजा करने का विधान है.

Utpanna Ekadashi 2021: क्यों खास माना जाता है उत्पन्ना एकादशी व्रत, जानें महत्व व शुभ मुहूर्त
Utpanna Ekadashi 2021: उत्पन्ना एकादशी व्रत इसलिए है खास, जानें पूजा विधि व महत्व
नई दिल्ली:

उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत 30 नवंबर 2021को रखा जाएगा. उत्पन्ना एकादशी का व्रत पूरे नियम, भक्ति भाव और विश्वास के साथ रखा जाता है. इस व्रत को रखने से धर्म और मोक्ष फलों की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने का फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या और तीर्थ स्थानों में स्नान दान करने से मिलने वाले फलों से भी ज्यादा अधिक होता है. ये व्रत रखने से मन शांत होता है, शरीर को स्वस्थ बनाता है और ह्रदय को शुद्ध करता है. उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु जी की पूरे भक्ति भाव से पूजा करने का विधान है. इस दिन ब्रह्म समय में भगवान को फूल, धूप, दीप, और अक्षत से पूजा करनी चाहिए. 

उत्पन्ना एकादशी की पौराणिक कथा

सतयुग में मुरु नामक राक्षस ने एक समय देवताओं पर विजय हासिल कर इंद्र देवता को अपना बंधक बना लिया था. तभी देवता भगवान शंकर की शरण में पहुंचे. भोलेनाथ ने देवताओं को विष्णु जी के पास जाने की सलाह दी. उसके बाद देवताओं ने विष्णु जी के पास जाकर अपनी सारी व्यथा सुनाई. ये सब सुनने के बाद विष्णु जी ने राक्षसों को तो परास्त कर दिया, लेकिन दैत्य मुरु वहां से भाग निकला. भगवान विष्णु ने मुरु को भागता हुआ देखकर लड़ाई बंद कर दी और बद्री आश्रम की गुफा में विश्राम करने लगे. उसके बाद राक्षस मुरु जब विष्णु जी को मारने वहां पहुंचा तो विष्णु जी के शरीर से एक स्त्री की उत्पत्ति हुई. उस स्त्री ने मुरु दैत्य का अंत कर दिया. उस कन्या ने विष्णु जी को बताया कि मैं आपके शरीर से उत्पन्न हुई हूं और आपका ही अंश हूं. इससे खुश होकर विष्णु भगवान ने उस कन्या को वरदान देते हुए कहा कि तुम संसार में माया जाल में उलझे हुए लोग, जो मुझ से विमुख हो गए हैं, उन्हें मुझ तक लाने में सक्षम रहोगी. भगवान विष्णु जी ने कहा कि तुम्हारी पूजा-अर्चना करने वाले भक्त हमेशा सुखी रहेंगे. आपको बता दें कि आगे चलकर यही कन्या एकादशी कहलाने लगीं. वैसे तो वर्ष भर में एकादशी हर माह में दो बार यानि सालभर में 24 बार आती है, लेकिन उत्पन्ना एकादशी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. 

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Utpanna Ekadashi 2021:  जानिये उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व 

उत्पन्ना एकादशी के पूजा की विधि

उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर धूप, दीप, अक्षत, फूल, नैवेद्य से भगवान विष्णु जी का पूजन करें. पूजा करने के बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और रात में दीपदान करें. कोशिश करें कि जितनी देर तक रात को जग सकते हैं जगकर व्रत वाले दिन भजन कीर्तन और सत्संग करें. इस दिन जितना हो सके दान दक्षिणा दें. भगवान से अपनी गलतियों के लिए क्षमा भी मांगे.

उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त

  • उत्पन्ना एकादशी तिथि 2021:- 30 नवंबर 2021 (मंगलवार),
  • एकादशी प्रारंभ:- 30 नवंबर 2021- दोपहर 2 बजे,
  • एकादशी समाप्त:-1 दिसंबर 2021- दोपहर 12 बजकर 55 मिनट.
  • व्रत खोलने का समय(पारण):- 1 दिसंबर 2021 दिन बुधवार को सुबह 7 बजकर 40 मिनट से सुबह 9 बजे तक व्रत खोलने का समय है.

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