प्रतीकात्मक चित्र
कोलकाता:
सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया ने कंपनी सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत बासी पुष्प-पत्र से उर्वरक बनाने के लिये दक्षिणेश्वर काली मंदिर और झारखंड के देवघर में बाबाधाम मंदिर में दो परियोजनाएं शुरू की है. ईस्टर्न कोलफील्ड्स लि. (ईसीएल) के निदेशक (कार्मिक) के एस पात्रो ने कहा, ‘ईसीएल पहले ही कोलकाता के दक्षिणेश्वर और झारखंड के देवघर में बाबाधाम में इस प्रकार के दो संयंत्र शुरू कर चुकी है. इसमें जो भी बासी पुष्प-पत्र एकत्रित होती हैं, उससे उर्वरक बनाया जाता है.’ ईसीएल कोल इंडिया की अनुषंगी है.
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उन्होंने कहा, ‘कोलकाता में कालीघाट मंदिर और बीरभूम जिले में तारापीठ में दो और परियोजनाओं पर काम जारी है. कालीघाट परियोजना के पूरा होने में 3-4 महीने का समय लगेगा जबकि तारापीठ में परियोजना मई में परिचालन में आएगी.’
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पात्रो ने कहा, ‘ये इकाइयां 800 किलो पुष्प-पत्र से करीब 200 किलो उर्वरक बनाने में सक्षम हैं. इन परियोजनाओं का रखरखाव गैर-सरकारी संगठन कर रहे हैं. वे उर्वरक बाजार में 20 से 22 रपये किलो बेचते हैं जबकि बाजार में इसकी कीमत 60 से 120 रपये है.’
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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उन्होंने कहा, ‘कोलकाता में कालीघाट मंदिर और बीरभूम जिले में तारापीठ में दो और परियोजनाओं पर काम जारी है. कालीघाट परियोजना के पूरा होने में 3-4 महीने का समय लगेगा जबकि तारापीठ में परियोजना मई में परिचालन में आएगी.’
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पात्रो ने कहा, ‘ये इकाइयां 800 किलो पुष्प-पत्र से करीब 200 किलो उर्वरक बनाने में सक्षम हैं. इन परियोजनाओं का रखरखाव गैर-सरकारी संगठन कर रहे हैं. वे उर्वरक बाजार में 20 से 22 रपये किलो बेचते हैं जबकि बाजार में इसकी कीमत 60 से 120 रपये है.’
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