महाराणा प्रताप जयंती 2017: एक ऐसा योद्धा, जिसने नहीं झुकाया अकबर के आगे सिर

अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को हुआ था. हिन्दू पंचांग विक्रम सम्वत की माने तो उनकी जयंती हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है कि महाराणा प्रताण एक ऐसे योद्वा थे जिन्‍हें मुगलों के आगे झुकना मंजूर नहीं था. महाराणा प्रताण ने अपनी छोटी-सी सेना के दम पर शत्रुओं को नाकों चने चबवा दिए थे. आइए जानते हैं महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक और खास बातें.

महाराणा प्रताप जयंती 2017: एक ऐसा योद्धा, जिसने नहीं झुकाया अकबर के आगे सिर

महाराणा प्रताण एक ऐसे योद्वा थे जिन्‍हें मुगलों के आगे झुकना मंजूर नहीं था

नई दिल्‍ली:

अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को हुआ था. हिन्दू पंचांग विक्रम सम्वत की माने तो उनकी जयंती हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है कि महाराणा प्रताण एक ऐसे योद्वा थे जिन्‍हें मुगलों के आगे झुकना मंजूर नहीं था. महाराणा प्रताण ने अपनी छोटी-सी सेना के दम पर शत्रुओं को नाकों चने चबवा दिए थे. आइए जानते हैं महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक और खास बातें.

  • महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के मेवाड़ में कुम्भलगढ़ में सिसोदिया राजवंश के महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कंवर के घर हुआ था. महाराणा प्रताप ने कभी किसी अधीनता स्वीकार नहीं की. उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है.
  • इतिहास की मानें तो महाराणा प्रताप को बचपन में कीका कहा जाता था. इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में 11 शादियां की थीं.
  • हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था. माना जाता है कि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था. हालांकि इस युद्ध में न महाराणा प्रताप की हार हुई और न ही अकबर जीत सका.
  • कहा जाता है कि अकबर की ताकत को देखने के बावजूद महाराणा प्रताप उनके आगे झुकने को तैयार नहीं थे. अकबर ने कई बार अपने दूत भेजकर मेवाड़ को अपनी रियासत में मिलाने की कोशिश की.
  • महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था, जो काफी तेज दौड़ता था. अपने राजा को बचाने के लिए वह 26 फीट लंबे नाले के ऊपर से कूद गया था.
  • महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का एक मंदिर भी बना है जो आज भी हल्दी घटी में सुरक्षित है.
  • महाराणा प्रताप की तलवार, कवच उदयपुर राज घराने के मियुजियम में आज भी सुरक्षित रखी हुई हैं.
 
 
 
 

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