हनुमान जी का व्रत
नई दिल्ली:
मान्यता है कि मंगलवार का व्रत उन्हें रखना चाहिए जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह भारी हो या फिर जीवन में कोई भी शुभ काम ना हो रहा हो. ऐसे में अपने जीवन में खुशियां लाने और कार्यों को शुभ बनाने के लिए इस दिन व्रत किया जाता है. सभी भगवानों की तरह हनुमान जी के व्रत के लिए भी कुछ विधि और विधान हैं, जिन्हें सही तरह से करने पर ही फल की प्राप्ति होती है.
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यह है विधि
हनुमान जी का व्रत 21 मंगलवार करना चाहिए. व्रत की शुरुआत करने के लिए सुबह नहा धोकर ईशान कोण की दिशा (उत्तर-पूर्व कोने) में किसी एकांत स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें. आप चाहें तो उस स्थान पर फोटो भी लगा सकते हैं. व्रत वाले दिन लाल कपड़े पहनें. व्रत की शुरुआत हाथ में पानी लेकर संकल्प के साथ करें.
पढ़े ये भी - क्यों और कितनी बार करनी चाहिए मंदिर में परिक्रमा? जानिए
हनुमान जी की मूर्ति के आगे घी का दीपक जलाएं. मूर्ति पर चमेली के तेल की हल्की छीटे दें और लाल या पीले रंग के फूलों की माला चढ़ाएं. हनुमान चालीसा का पाठ करें. पूजा खत्म होने के बाद सभी को प्रसाद बांटे और पूरे दिन में सिर्फ एक बार भोजन करें. रात में सोने से पहले भी एक बार हनुमान जी की पूजा करें या फिर दीपक जलाकर हाथ जोड़ें.
21 मंगलवार के व्रत पूरे होने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान से हनुमान जी का पूजन करें. उन्हें सिंदूरी रंग के कपड़े पहनाएं या चढ़ाएं. पूजा के बाद 21 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें.
देखें वीडियो - भगवान हनुमान का भी बन गया आधार कार्ड
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यह है विधि
हनुमान जी का व्रत 21 मंगलवार करना चाहिए. व्रत की शुरुआत करने के लिए सुबह नहा धोकर ईशान कोण की दिशा (उत्तर-पूर्व कोने) में किसी एकांत स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें. आप चाहें तो उस स्थान पर फोटो भी लगा सकते हैं. व्रत वाले दिन लाल कपड़े पहनें. व्रत की शुरुआत हाथ में पानी लेकर संकल्प के साथ करें.
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हनुमान जी की मूर्ति के आगे घी का दीपक जलाएं. मूर्ति पर चमेली के तेल की हल्की छीटे दें और लाल या पीले रंग के फूलों की माला चढ़ाएं. हनुमान चालीसा का पाठ करें. पूजा खत्म होने के बाद सभी को प्रसाद बांटे और पूरे दिन में सिर्फ एक बार भोजन करें. रात में सोने से पहले भी एक बार हनुमान जी की पूजा करें या फिर दीपक जलाकर हाथ जोड़ें.
21 मंगलवार के व्रत पूरे होने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान से हनुमान जी का पूजन करें. उन्हें सिंदूरी रंग के कपड़े पहनाएं या चढ़ाएं. पूजा के बाद 21 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें.
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