फाइल फोटो
तिरुवनंतपुरम:
सबरीमाला मंदिर का प्रबंधन देखने वाली संस्था त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश न करने देने के अपने रुख पर कायम है। टीडीबी के अध्यक्ष प्रयार गोपालकृष्णन ने यहां सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि मंदिर में इस आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश न करने की 800 वर्ष पुरानी परंपरा है और हमारी इच्छा इसे बदलने की नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई...
गोपालकृष्णन ने कहा, "10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने वाली तीनों समितियों के ज्योतिषीय परीक्षण (देवाप्रसनम) को हमने सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दिया है, जहां मामले की सुनवाई चल रही है। इस तरह का अंतिम परीक्षण 18 जून, 2014 को हुआ था।" उन्होंने कहा कि वे सबरीमाला मंदिर की परंपरा और मान्यताओं को आगे भी जारी रखना चाहते हैं।
10-50 आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश नहीं...
टीडीबी अध्यक्ष ने कहा, "हम महिलाओं को मंदिर में प्रवेश के खिलाफ नहीं हैं। पिछले सीजन में यहां चार करोड़ श्रद्धालु आए थे, जिनमें से महिलाओं की तादाद पांच लाख थी। जो हम कहना चाहते हैं और जिसे हमने सर्वोच्च न्यायालय को सौंपा है, वह यही है कि 10-50 आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश नहीं करने देना चाहिए।"
मंदिर की परंपरा पालन पर विवाद...
टीडीबी का बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली केरल सरकार का इस मुद्दे पर अलग दृष्टिकोण है और वह मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने की पक्षधर है, जबकि ओमान चांडी की पिछली सरकार का दृष्टिकोण था कि मंदिर की परंपरा का पालन करना चाहिए।
हमारा इस मामले में कड़ा दृष्टिकोण है: टीडीबी अध्यक्ष
गोपालकृष्णन ने कहा, "हमारा इस मामले में कड़ा दृष्टिकोण है कि सर्वोच्च न्यायालय को परंपराओं को बदलने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए और अगर ऐसा होता भी है, तो हमारा मानना है कि 10-50 आयुवर्ग की कोई भी महिला मंदिर में खुद ही प्रवेश नहीं करेगी, क्योंकि मान्यताओं का हमेशा पालन होता है।"
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई...
गोपालकृष्णन ने कहा, "10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने वाली तीनों समितियों के ज्योतिषीय परीक्षण (देवाप्रसनम) को हमने सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दिया है, जहां मामले की सुनवाई चल रही है। इस तरह का अंतिम परीक्षण 18 जून, 2014 को हुआ था।" उन्होंने कहा कि वे सबरीमाला मंदिर की परंपरा और मान्यताओं को आगे भी जारी रखना चाहते हैं।
10-50 आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश नहीं...
टीडीबी अध्यक्ष ने कहा, "हम महिलाओं को मंदिर में प्रवेश के खिलाफ नहीं हैं। पिछले सीजन में यहां चार करोड़ श्रद्धालु आए थे, जिनमें से महिलाओं की तादाद पांच लाख थी। जो हम कहना चाहते हैं और जिसे हमने सर्वोच्च न्यायालय को सौंपा है, वह यही है कि 10-50 आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश नहीं करने देना चाहिए।"
मंदिर की परंपरा पालन पर विवाद...
टीडीबी का बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली केरल सरकार का इस मुद्दे पर अलग दृष्टिकोण है और वह मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने की पक्षधर है, जबकि ओमान चांडी की पिछली सरकार का दृष्टिकोण था कि मंदिर की परंपरा का पालन करना चाहिए।
हमारा इस मामले में कड़ा दृष्टिकोण है: टीडीबी अध्यक्ष
गोपालकृष्णन ने कहा, "हमारा इस मामले में कड़ा दृष्टिकोण है कि सर्वोच्च न्यायालय को परंपराओं को बदलने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए और अगर ऐसा होता भी है, तो हमारा मानना है कि 10-50 आयुवर्ग की कोई भी महिला मंदिर में खुद ही प्रवेश नहीं करेगी, क्योंकि मान्यताओं का हमेशा पालन होता है।"
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