वृंदावन स्थित ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में ग्रीष्म कालीन पूजा राग सेवा का क्रम मंगलवार से प्रांरभ हो गया. इसके तहत मंदिर के दर्शन का समय परिवर्तित होने के साथ ठाकुरजी की पूजा ग्रीष्म कालीन पद्धति के अनुसार सेवायतों द्वारा की जाने लगी. दर्शनार्थियों के लिए मंगलवार को जहां मंदिर के पट सुबह 7:45 बजे खोले गए, वहीं 7:55 पर सेवायतों ने ठाकुर बांकेबिहारीजी की भव्य श्रृंगार आरती की. दिन के 11 बजे ठाकुरजी को राजभोग अर्पित किया और 11:30 बजे वापस ठाकुरजी के दर्शन भक्तों को प्राप्त हुए. सुबह 11.55 बजे राजभोग आरती के साथ सुबह के दर्शन पूरे हो गए.
इस मंदिर एक स्तंभ से निकलते हैं संगीत के सातों स्वर, मिलता है अनोखा प्रसाद
इसके बाद शाम को 5:30 बजे मंदिर के पट दर्शन के लिए दोबारा खोले गए. फिर देर शाम 8:30 बजे ठाकुरजी को शयन भोग अर्पित किया गया. इसके बाद 9:05 बजे दोबारा ठाकुरजी ने भक्तों को फिर दर्शन दिए. देर शाम 9:25 बने शयन आरती की गई और बांकेबिहारी जी को आराम देने के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए गए. अब गर्मी के मौसम में बांकेबिहारीजी के दर्शन और पूजा का समय यही रहेगा.
खरमास शुरू, लौकिक मान्यताओं के अनुसार इस अवधि में नहीं होते हैं मांगलिक कार्य
उल्लेखनीय है कि वृंदावन स्थित बांकेबिहारीजी यह भव्य मंदिर पूरी दुनिया के कृष्णभक्तों में विख्यात है. इस मंदिर में बिहारीजी की काले रंग की प्राचीनतम प्रतिमा है. इस प्रतिमा के विषय में मान्यता है कि इस प्रतिमा में साक्षात् श्री कृष्ण और राधा समाए हुए हैं, जिनके दर्शन मात्र से राधा-कृष्ण के दर्शन का फल मिल जाता है.
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