Swastika: आप लगातार किसी समस्या से जूझ रहे हैं या फिर घर में निगेटिव वाइब्स का अनुभव करते हैं. तो, माना जाता है कि एक छोटा सा बदलाव कर आप इस नेगेटिविटी से छुटकारा भी पा सकते हैं. इसके लिए आपको बड़े जतन भी नहीं करने हैं, बस अपने घर के मुख्य द्वार पर पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ स्वास्तिक (Swastika) बनाना है. माना जाता है कि सही समय पर सही जगह बनाया गया स्वास्तिक बेहद शुभ होता है. स्वास्तिक को ही सातिया भी कहते हैं. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में भी स्वास्तिक को घर के मुख्य द्वार पर बनाना अच्छा माना गया है. आइए जानें, मुख्य द्वार पर स्वास्तिक कैसे, कहां और कब बनाना चाहिए.
मुख्य द्वार पर स्वास्तिक | Swastika on Main Door
• मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाते समय सबसे ज्यादा मायने रखती है उसे बनाने की सामग्री. ये ध्यान रखें कि आपको सिर्फ सिंदूर से ही स्वास्तिक बनाना है. सिंदूर से बने स्वास्तिक को घर में सुख और समृद्धि का मार्ग खोलने वाला माना जाता है.
• स्वास्तिक का आकार भी ध्यान रखना जरूरी है. मुख्य दरवाजे से घर की शुरुआत होती है इसलिए यहां स्वास्तिक भी बड़े आकार का बनाया जाता है. माना जाता है कि वास्तु दोषों (Vastu Dosh) को कम करने या मिटाने के लिए नौ उंगली लंबा और चौड़ा स्वास्तिक अच्छा होता है.
• अगर आपको अपने घर के सामने कोई पेड़ या खंभा नजर आता है तो ये नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हो सकता है. उसके होने वाले अशुभ प्रभावों को रोकने के लिए मुख्य द्वार पर रोज स्वास्तिक बनाना धुभ मानते हैं.
• जब भी मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं ये ध्यान रखें कि वहां हमेशा साफ-सफाई होती रहे. दरवाजा धूल मिट्टी से गंदा ना हो.
• मुख्य द्वार पर बने स्वास्तिक के आसपास पीपल, आम या अशोक के पत्तों की माला बांधना भी शुभ होता है.
• एक बार मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाने के बाद वहां आसपास जूते चप्पलों का ढेर भी ना लगने दें.
• मुख्य द्वार के अलावा घर के आंगन एके बीचोंबीच भी स्वास्तिक बनाया जा सकता है. माना जाता है कि इससे आंगन में पितृ निवास करते हैं और आशीष बनाकर रखते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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