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This Article is From Apr 17, 2023

Som pradosh Vrat: आज है सोम प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि और किस मुहूर्त में किया जाएगा भोलेनाथ का पूजन

Som pradosh Vrat 2023: सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहते हैं. यहां जानिए मान्यतानुसार किस तरह किया जा सकता है भगवान शिव को प्रसन्न. 

Som pradosh Vrat: आज है सोम प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि और किस मुहूर्त में किया जाएगा भोलेनाथ का पूजन
Som Pradosh Vrat Puja Vidhi: मान्यतानुसार इस तरह की जाती है प्रदोष व्रत में शिव शंकर की पूजा. 

Som pradosh Vrat 2023: आज 17 अप्रैल के दिन वैशाख माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है. सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहते हैं. इस दिन भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) का पूरे श्रद्धाभाव से पूजन किया जाता है. माना जाता है कि सप्ताह का हर दिन किसी ना किसी भगवान को समर्पित है और सोमवार को भोलेनाथ का दिन माना जाता है, इस चलते सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती का पूजन भी किया जाता है. जानिए किस शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर भोलेनाथ की विशेष कृपा मिल सकती है. 

सोम प्रदोष व्रत की पूजा | Som Pradosh Vrat Puja 

साल में 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. इन प्रदोष व्रत में पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है. इस वर्ष वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 अप्रैल के दिन दोपहर 3 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और इस त्रयोदशी तिथि का समापन अगले दिन 18 अप्रैल की दोपहर 1 बजकर 27 मिनट पर हो जाएगा. प्रदोष काल (Pradosh Kaal) 17 अप्रैल के दिन शाम 6 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 1 मिनट पर है. इस मुहूर्त में ही पूजा करना अत्यधिक शुभ साबित हो सकता है. 

प्रदोष व्रत की पूजा विधि 
  • प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए सुबह-सवेरे उठकर स्नान करें. 

  • स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं. 

  • यदि मंदिर में पूजा करने नहीं जा रहे हैं तो घर के ही मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. 
  • भोलेनाथ की पूजा (Shiv Puja) करने के लिए इस दिन भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है. 
  • इसके पश्चात पुष्प, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा, कलावा, चंदन, अगरबत्ती और फल आदि भोलेनाथ पर अर्पित किए जाते हैं. 
  • प्रदोष व्रत की पूजा में भोलेनाथ के साथ-साथ भगवान गणेश और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. 
  • आखिर में आरती करने के बाद शिव शंकर का ध्यान कर पूजा समाप्त करते हैं और मनोकामना मांगते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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