विज्ञापन
This Article is From Sep 20, 2022

Shiv Puja: प्रदोष काल में रोजाना इस तरह कर सकते हैं शिवजी की स्तुति, मिलेगा भरपूर आशीर्वाद!

Monday Shiv Puja Vidhi: भगवान शिव भक्तों की भक्ति से बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसे ममें जानते हैं कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा किस तरह की जाती है.

Shiv Puja: प्रदोष काल में रोजाना इस तरह कर सकते हैं शिवजी की स्तुति, मिलेगा भरपूर आशीर्वाद!
Monday Shiv Puja Vidhi: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष काल खास होता है.

Shiv Chalisa Path Benefits: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में कई पूजा की कई विधियां बताई गई हैं. भक्त भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए व्रत, विधि-विधान से पूजा-पाठ और खास उपाय भी करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से भी प्रसन्न होकर उसे मनचाहा वरदान प्रदान कर देते हैं. वैसे तो शिवजी की उपासना के लिए सोमवार का दिन सर्वश्रेष्ठ होता है. उसमें भी अगर प्रदोष काल (Pradosh Kaal) का चयन किया जाए तो और भी शुभ और मंगलकारी होता है. कहा जाता है कि नियमित रूप से प्रदोष काल में नियम पूर्वक शिव चालीसा (Shiv Chalisa Niyam) का पाठ किया जाए तो भगवान शिव (Lord Shiiva) की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है.

शिव चालीसा पाठ के नियम | Shiv Chalisa Path Niyam

  • शिव चालीसा का पाठ भगवान शिव की कृपा पाने के लिए किया जाता है. वैसे तो हर दिन शिव चालीसा का पाठ करना उत्तम होता है, लेकिन सोमवार को प्रदोष काल के दौरान इसका पाठ करना शुभ और मंगलकारी होता है. 
  • शिव चालीसा का पाठ करते वक्त शिवजी के समक्ष शुद्ध घी का दीया जलाना चाहिए. इससे अलावा स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करके शुद्धा आसन पर बैठना चाहिए. 
  • शिव चालीसा का पाठ करने के क्रम में भगवान शिव को मिश्री का भोग लगाना अच्छा रहता है. शिवलिंग पर बेलपत्र को उल्टे करके अर्पित करना चाहिए. 
  • शिव चालीसा का पाठ करते वक्त पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह होना चाहिए. 
  • एक दिन में 11 बार शिव चालीसा का पाठ करना उत्तम होता है. कहा जाता है कि लगाचार 40 दिन तक शिव चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. साथ ही भक्त की मनोकामना पूरी होती है. 

Navratri Vrat 2022: शारदीय नवरात्रि में गर्भवती महिलाएं इस तरह रख सकती हैं व्रत, जानें आसान विधि

शिव चालीसा | Shiv Chalisa In Hindi

।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
  
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुंडल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुंडमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नंदि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहं करी सहाई। नीलकंठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शंभु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
 

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ पर इस तरह करें पूजा, पति की उम्र होगी लंबी और मिलेगा अखंड सौभाग्य!

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

अनंत चतुर्दशी आज, मुंबई में गणपति विसर्जन की धूम​

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com