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This Article is From Mar 14, 2023

Sheetala Ashtami 2023: किस वजह से लगाया जाता है माता शीतला को बसौड़ा का भोग, जानिए यहां

Sheetala Ashtami Puja: शीतला अष्टमी की विशेष मान्यता होती है. इस दिन विधिवत माता शीतला का पूजन किया जाता है. 

Sheetala Ashtami 2023: किस वजह से लगाया जाता है माता शीतला को बसौड़ा का भोग, जानिए यहां
Basoda: माता शीतला को इस कारण लगाया जाता है बासी भोग. 

Sheetala Ashtami 2023: शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी पर मान्यतानुसार माता शीतला की पूजा की जाती है. माएं इस दिन अपनी संतान के स्वास्थ्य के लिए माता शीतला (Sheetala Mata) का व्रत रखती हैं और माता शीतला की पूजा करती हैं. इस साल 14 मार्च के दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाएगा. माना जाता है कि माता शीतला चेचक जैसे रोगों से बच्चों की रक्षा करती हैं. इस दिन को बसौड़ा (Basoda) भी कहते हैं क्योंकि माता शीतला की पूजा में बसौड़ा अर्थात् बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. परंतु, कम ही लोग इस बात से परिचित हैं कि आखिर अन्य देवी-देवताओं की तरह माता शीतला को ताजे पकवानों के भोग क्यों नहीं लगाए जाते और भक्त स्वयं भी इस दिन ताजा प्रसाद ग्रहण क्यों नहीं करते हैं. इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा छिपी है. 

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शीतला अष्टमी पर क्यों लगाया जाता है बसौड़ा का भोग 

शीतला अष्टमी का व्रत (Sheetala Ashtami Vrat) रखने वाली महिलाएं एक रात पहले ही शीतला मैया के लिए भोग और प्रसाद तैयार कर लेती हैं और अगले दिन मां शीतला को बसौड़ा का भोग लगाती हैं. कहते हैं इस दिन घर में चूल्हा जलाना भी शुभ नहीं होता है. ऐसा करने के पीछे एक प्राचीन कथा छिपी है. 

मान्यतानुसार एक समय की बात है. एक गांव था जिसमें शीतला माता की पूजा की जा रही थी. पूजा करते समय गांव के अनेक लोगों ने ताजे और गर्म-गर्म पकवान का माता शीतला को भोग लगा दिया. इस भोग से माता शीतला का मुंह जल गया और वे क्रोधित हो गईं. इसी रात गांव में आग लग गई और सभी के घर जल गए, परंतु एक झोपड़ी ऐसी थी जो टस से मस नहीं हुई. सभी को आश्चर्य हुआ कि एक बुढ़िया की कुटिया भला किस तरह बच गई. जब बुढ़िया से सवाल किया गया तो उसने बताया कि उसने शीतला माता को ताजा नहीं बल्कि बासी भोजन (Leftover Food) खिलाया था. बुढ़िया के बसौड़ा खिलाने के कारण ही माता शीतला उससे रुष्ट नहीं हुईं. इसी दिन से माता शीतला को बसौड़ा खिलाने की परंपरा शुरू हुई. मान्यतानुसार माता शीतला बसौड़ा से प्रसन्न होती हैं और सभी को स्वस्थ रहने का वरदान देती हैं. 

शीतला माता की पूजा 


शीतला अष्टमी से एक दिन पहले भोग व प्रसाद तैयार कर लिया जाता है. अगले दिन नहा-धोकर व्रत का संकल्प लेते हैं. महिलाएं इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाती हैं. थाली में प्रसाद, भोग, जल, रोली, चावल और धूपबत्ती आदि लेकर चौराहे पर पूजा की जाती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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