Shayani Ekadashi 2019: मान्यता है कि Devshayani Ekadashi (देवशयनी एकादशी) के दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा में चले जाते हैं. इस पूरे चार महीने के दौरान कोई भी शुभ काम जैसे शादियां, नामकरण, जनेऊ, ग्रह प्रवेश और मुंडन नहीं होते. चार महीने के अंतराल के बाद देवप्रबोधनी एकादशी (Devprabodhini Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु जाग उठते हैं. इस दिन के बाद से हिंदू धर्म में मांगलिक कार्यों की एक बार फिर शुरुआत हो जाती है. यहां आप जानिए कि आखिर क्यों भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा में चले जाते हैं.
जानिए देवशयनी एकादशी की पूजा विधि और व्रत कथा
आखिर क्यों चार महीने के लिए सो जाते हैं भगवान?
वामन पुराण के मुताबिक असुरों के राजा बलि ने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था. राजा बलि के आधिपत्य को देखकर इंद्र देवता घबराकर भगवान विष्णु के पास मदद मांगने पहुंचे. देवताओं की पुकार सुनकर भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए. वामन भगवान ने बलि से तीन पग भूमि मांगी. पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया. अब तीसरा पग रखने के लिए कुछ बचा नहीं थी तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख दें.
भगवान वापन ने ऐसा ही किया. इस तरह देवताओं की चिंता खत्म हो गई. वहीं भगवान राजा बलि के दान-धर्म से बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने राजा बलि से वरदान मांगने को कहा तो बलि ने उनसे पाताल में बसने का वर मांग लिया. बलि की इच्छा पूर्ति के लिए भगवान को पाताल जाना पड़ा. भगवान विष्णु के पाताल जाने के बाद सभी देवतागण और माता लक्ष्मी चिंतित हो गए. अपने पति भगवान विष्णु को वापस लाने के लिए माता लक्ष्मी गरीब स्त्री बनकर राजा बलि के पास पहुंची और उन्हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी. बदले में भगवान विष्णु को पाताल लोक से वापस ले जाने का वचन ले लिया.
पाताल से विदा लेते वक्त भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक पाताल लोक में वास करेंगे. पाताल लोक में उनके रहने की इस अवधि को योगनिद्रा माना जाता है.
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