Pradosh Vrat: हर माह 2 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. प्रदोष व्रत के दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन किया जाता है. सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत, बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत और इसी तरह शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) कहा जाता है. इस साल केवल एक शनि प्रदोष व्रत पड़ रहा है जिसे बेहद शुभ माना जा रहा है. इस दिन मान्यतानुसार शिव पूजा करने पर भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति हो सकती है. यहां जानिए आषाढ़ मास का प्रदोष व्रत कब है.
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शनि प्रदोष व्रत की तिथि | Shani Pradosh Vrat Date
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. यह तिथि 1 जुलाई के दिन पड़ रही है. 1 जुलाई, शनिवार के दिन सुबह 1 बजकर 16 मिनट रात 11 बजकर 7 मिनट तक आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहेगी. इस चलते शनि प्रदोष व्रत 1 जुलाई के दिन ही रखा जाने वाला है.
इस दिन खास योग भी बन रहे हैं. पहला शुभ योग सुबह से रात 10 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शुक्ल योग लगेगा जोकि अगले दिन तक रहने वाला है. रवि योग (Ravi Yog) प्रदोष व्रत के दिन दोपहर 3 बजकर 4 मिनट से 2 जुलाई की सुबह 5 बजकर 27 मिनट तक रहेगा.
शनि प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्तप्रदोष व्रत के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर भोलेनाथ (Lord Shiva) की विशेष कृपा प्राप्त होती है. प्रदोष व्रत की विशेष पूजा शाम के समय होती है. इस चलते 1 जुलाई शाम 7 बजकर 23 मिनट से रात 9 बजकर 24 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहने वाला है. इसके अलावा, शाम 7 बजकर 23 मिनट से रात 8 बजकर 39 मिनट तक लाभ-उन्नति मुहूर्त है. इस मुहूर्त में पूजा करना भी बेहद शुभ हो सकता है.
इसके अलावा, शनि प्रदोष व्रत के दिन शिववास है. शिववास को भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी माना जाता है. शिववास 1 जुलाई की सुबह से ही लग जाएगा और रात 11 बजकर 7 मिनट तक रहेगा.
कैसे करें शिव पूजाप्रदोष व्रत की शाम शिव पूजा की जाती है, लेकिन सुबह स्नान पश्चात ही व्रत का संकल्प लेने के बाद भक्त शिव दर्शन के लिए शिव मंदिर जाते हैं. बहुत से भक्त सुबह के समय भी घर में शिव पूजा (Shiv Puja) करते हैं. शाम के समय पूजा में बेलपत्र, धतूरा, फल, पुष्प और भोग आदि भोलेनाथ के समक्ष अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद शिव आरती और मंत्रों के उच्चारण के साथ शिव पूजा संपन्न होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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