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This Article is From Jun 29, 2022

Shani: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत पाने के लिए पढ़े जाते हैं ये स्तोत्र, आप भी जानें

Shani: शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें प्रसन्न किया जाता है. माना जाता है कि शनि देव के प्रसन्न होने से साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप कम होने लगता है.

Shani: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत पाने के लिए पढ़े जाते हैं ये स्तोत्र, आप भी जानें
Shani: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करना अच्छा माना गया है.
Quick Take
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शनि को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है इस स्तोत्र का पाठ.
शनि की साढ़ेसाती में मिलता राहत.
शनि की ढैय्या के लिए भी है खास.

Shani: शनि देव इस सृष्टि में न्याय के देवता माने गए हैं. सूर्यपुत्र शनि देव (Shani Dev) प्रत्येक इंसान को उसके कर्मों के मुताबिक फल देते हैं. आमतौर लोग शनि देव का नाम सुनकर भय खाते हैं, लेकिन ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के मुताबिक जो व्यक्ति कर्मठ और न्याय का साथ देने वाला होता है उस पर शनि देव प्रसन्न रहते हैं. हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता जो मनुष्य कर्मों करने से भागता हो या हमेशा अन्याय करता हो, उस पर हमेशा शनि देव क्रूर दृष्टि रहती है. कहा जाता है कि शनि के प्रकोप से बचने के लिए उन्हें प्रसन्न करना चाहिए. क्योंकि शनि की साढ़ेसाती (Shani Sadhe Sati) और ढैय्या (Dhaiya) का प्रभाव अच्छा नहीं माना जाता है. शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, महादशा या अंतर्दशा के बचने के लिए शनि मृत्युंजय स्तोत्र (Shani Mrityunjaya Stotra) का पाठ करना शुभ माना गया है. आइए जानते हैं शनि मृत्युंजय स्तोत्र के बारे में.


शनि मृत्युंजय स्तोत्र | Shani Mrityunjaya Stotra

ॐ ह्रीं श्रीकालरुपिं नमस्तेस्तु सर्वपापप्रणाशक:
त्रिपुरस्य वधार्थाय शंभुजाताय ते नम:


ॐ कालशरीराय कालन्नुनाय ते नम:
कालहेतो नमस्तुभ्यं कालनंदाय वै नम:

ॐ अखंडदंडमानाय त्वनाद्यन्ताय वै नम:
कालदेवाय कालाय कालकालाय ते नम:

ॐ निमेषादि महाकल्प कालरुपं च भैरवं
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्

ॐ दातारं सर्वभव्यानां भक्तानां अभयंकरं
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्

ॐ कर्तारं सर्वदु:खानां दुष्टानां भयवर्धनं
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्

ॐ सर्वेषामेव भूतानां सुखदं शांतिमव्ययं
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्

ॐ कारणंसुखदु:खानां भावाभावस्वरुपिणं
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्

ॐ अकालमृत्युहरणं अपमृत्युनिवारणं
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्

ॐ कालरुपेण संसारं भक्षयंतं महाग्रहं
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्

ॐ दुर्निरिक्ष्यं स्थूलरोमं भीषणं दीर्घलोचनं
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्

ॐ ग्रहाणं ग्रहभूतं च सर्वग्रह निवारणं
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्

ॐ कालस्यवशगा: सर्वेन काल: कस्यचित वश:
तस्मात्वां कालपुरुषं प्रणतोस्मि शनैश्चरम्

ॐ कालदेव जगत्सर्वं कालएव विलीयते
कालरुपं स्वयं शंभु: कालात्मा ग्रहदेवतां

ॐ चंडीशो रुद्र डाकिन्याक्रांत: चंडीश उच्यते
विद्युदाकलितो नद्यां समारुढो रसाधिप:

ॐ चंडीश: शुकसंयुक्तो जिव्ह्या ललित:पुन:
क्षतजस्तामशी शोभी स्थिरात्मा विद्युतयुत:

ॐ ह्रीं नमोन्तो मनुरित्येष शनितुष्टिकर: शिवे
आद्यंते अष्टोत्तरशतं मनुमेनं जपेन्नर:

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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