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This Article is From May 22, 2020

Shani Jayanti 2020: आज है न्‍याय के देवता शनि की जयंती, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, जन्‍म कथा और महत्‍व

Shani Amavasya 2020: भगवान शनि के जन्‍मोत्‍सव को शनि जयंती (Shani Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. भगवान शनि का जन्‍मदिन वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) के साथ मनाया जाता है.

Shani Jayanti 2020: आज है न्‍याय के देवता शनि की जयंती, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, जन्‍म कथा और महत्‍व
Shani Jayanti 2020 Images: भगवान शनि के जन्‍मोत्‍सव को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है
नई दिल्ली:

Shani Jayanti 2020: आज शनि जयंती है, जिसका हिन्‍दू धर्म में खास महत्‍व है. भगवान शनि देव के जन्‍मदिवस को शनि जयंती (Shani Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. शनि जयंती को शनि अमावस्‍या (Shani Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है. शनि जयंती और वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) दोनो एक ही दिन पड़ते हैं. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार भगवान शनि; सूर्यदेव के पुत्र व शनि ग्रह के स्‍वामी हैं. यही नहीं हफ्ते में शनिवार का दिन शनि देव (Shani Dev) के नाम ही समर्पित है. कहते हैं कि शनि जयंती के दिन उनकी पूजा करने से सभी मंगल कामनाएं पूर्ण होती हैं. हालांकि इस बार लॉकडाउन है, ऐसे में आप घर पर ही शनि देव की पूजा करें.  

शनि जयंती कब है?
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार शनि जयंती ज्‍योष्‍ठ माह की अमावस्‍या और वट सावित्री व्रत के दिन मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह हर साल मई या जून महीने में आती है. इस बार शनि जयंती 22 मई 2020 को है. 

शनि जयंती की तिथि और शुभ मुहूर्त 
शनि जयंती की त‍िथ‍ि: 22 मई 2020 
अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 21 मई 2020 को रात 9 बजकर 35 मिनट से 
अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 22 मई 2020 को रात 11 बजकर 8 मिनट तक 

शनि जयंती का महत्‍व 
शनि जयंती को शनि अमावस्‍या के नाम से भी जाना जाता है. भगवान शनि का जन्‍मदिन वट सावित्री व्रत के साथ मनाया जाता है. इस दिन भक्‍त व्रत रखते हैं और शनि देव की कृपा पाने के लिए मंदिर उनके दर्शन करने जाते हैं. शनि को न्‍याय का देवता भी कहा जाता है. मान्‍यता है कि शनि निष्‍पक्ष रूप से न्‍याय करते हैं और अगर वे अपने भक्‍तों से प्रसन्न हो गए तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहते हैं कि जिन्‍हें शनि का आशीर्वाद नहीं मिलता उन्‍हें अनेक यातनाओं का सामना करना पड़ता है. शनि जयंती के दिन हवन, होम और यज्ञ कराना शुभ माना जाता है. इस दिन लोग साढ़े साती के दुष्‍प्रभाव को कम करने के लिए शनि शांति पूजा भी करवाते हैं. 

पूजन सामग्री 
शनि देव की प्रतिमा या फोटो, चावल, काला तिल, काली उड़द, नारियल, काला धागा, फूल, धूप-अगरबत्ती, दीपक, सरसों का तेल, नैवेद्य, फल-फूल, रूई,  पूड़‍ियां, लौंग, इलायची, पान-सुपारी, गंगाजल और लोहे की नाल. 

शनि जयंती की पूजा विधि 
- शनि जयंती के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान करें और फिर व्रत का संकल्‍प लें. 
- शनि देव की पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्‍यान रखा जाता है.
- अब घर के मंदिर में पश्चिम दिशा की ओर बैठकर शनि की मूर्ति या चित्र स्‍थापित करें. 
- अब तेल का दीपक जलाएं. 
- दीपक में काले तिल जरूर डालें. 
- अब शनि देव को फल-फूल, नारियल, सरसों का तेल, इलायची, पान-सुपारी और लोहे की नाल अर्पित करें. 
- इसके बाद उन्‍हें धूप-बत्ती दिखाकर आरती उतारें. 
- आरती के बाद शनि महाराज को तेल में बनीं पूड़‍ियों का भोग लगाएं. 
- घर के सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें. 
- शनि जयंती के दिन गरीबों को तेल, उड़द और चावल का दान देना अच्‍छा माना जाता है. 
- शनि जयंती के दिन सूर्य उपासना नहीं करनी चाहिए.

भगवान शनि की जन्‍म कथा 
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार एक बार सूर्यदेव की पत्नी छाया ने उनके प्रचंड तेज से भयभीत होकर अपनी आंखें बंद कर ली थीं. बाद में छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ. शनि के श्याम वर्ण को देखकर सूर्य ने पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि शनि उनका पुत्र नहीं है. कहते हैं कि तभी से शनि अपने पिता सूर्य से शत्रुता रखते हैं. शनि देव ने अनेक वर्षों तक शिव की तपस्‍या की थी. शनिदेव की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उनसे वरदान मांगने को कहा.

शनिदेव ने प्रार्थना की, "युगों-युगों से मेरी मां छाया की पराजय होती रही है, उसे मेरे पिता सूर्य द्वारा बहुत अपमानित व प्रताड़ित किया गया है. इसलिए मेरी माता की इच्छा है कि मैं अपने पिता से भी ज्यादा शक्तिशाली व पूज्य बनूं."

तब भगवान शिवजी ने उन्हें वरदान देते हुए कहा, "नवग्रहों में तुम्हारा स्थान सर्वश्रेष्ठ रहेगा. तुम पृथ्वीलोक के न्यायाधीश व दंडाधिकारी रहोगे."

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