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This Article is From Sep 20, 2021

Pitru Paksha 2021: पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण के समय जपें ये मंत्र

Tarpan Mantra: पितृ पक्ष में मृत परिजनों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए तर्पण किया जाता है, इस दौरान पितरों को जल दिया जाता है. साथ ही पितरों की मुक्ति के लिए मंत्र जप करने की भी परंपरा है.

Pitru Paksha 2021: पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण के समय जपें ये मंत्र
Pitru Paksha 2021: तर्पण के समय इन मंत्रों के जप से पितरों को मिलेगी मुक्ति
नई दिल्ली:

Pitru Paksha Tarpan Mantra : पितरों को लेकर बहुत से लोगों में हमेशा कई तरह की जिज्ञासा बनी रहती है जैसे- पितृ पक्ष के दौरान तर्पण श्राद्ध क्यों किया जाता है इत्यादि. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पितृ पक्ष के दौरान तर्पण श्राद्ध किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान यमराज आत्मा को मुक्त कर देते हैं, जिससे वे अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें. इस दौरान तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है. ऐसा भी माना जाता है कि पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से आने वाली समस्याओं का निराकारण हो जाता है. इसके साथ ही पितृ पक्ष में तर्पण करने से पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है. तर्पण मृत परिजनों की आत्मा को शांति पहुंचाने के लिए किया जाता है. इस साल (20 सितबंर 2021) पितृ पक्ष आज से शुरू हो रहे हैं, जिसका समापन 6 अक्टूबर को होगा.

जानिये क्यों किया जाता है तर्पण श्राद्ध

माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान यमराज आत्मा को मुक्त कर देते हैं, जिसके चलते मृत आत्मा अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें. इस दौरान तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है. बता दें कि पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से आने वाली समस्याएं भी दूर हो जाती हैं.

पितृ पक्ष तर्पण विधि

परिजनों की श्राद्ध तिथि पर तर्पण करते समय पितरों की मुक्ति के लिए मंत्र जपे जाते हैं. पितरों को जल देने की विधि तर्पण कहलाती है. आज हम आपको कुछ ऐसे मंत्र बता रहे हैं, जिनका उच्चारण आप पितरों की मुक्ति के लिए तर्पण करते समय जप सकते हैं. इसके लिए आप सबसे पहले पितरों का ध्यान करते हुए दोनों हाथ जोड़ लें. अब उन्हें 'ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम' मंत्र के माध्यम से आमंत्रित करें. आपकी जानकारी के लिए बता दें 'ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम' का अर्थ होता है 'हे पितरों, आइये और जलांजलि ग्रहण कीजिये.

दादा जी के तर्पण का मंत्र

दादा जी को तर्पण देते समय अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, 'गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः' मंत्र का जप करें. जल देते समय अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, 'गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः,  तस्मै स्वधा नमः'.

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Pitru Paksha 2021:  तर्पण के समय जपें ये मंत्र

दादी के तर्पण का मंत्र

दादी को तर्पण देते समय 'गोत्र का नाम लें गोत्रे पितामां दादी का नाम देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः,तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः' मंत्र का जाप करें. इसके साथ आप '(गोत्र का नाम लें) गोत्रे पितामां (दादी का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः,तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः' का जाप करें.

पिता के तर्पण का मंत्र

पिता को तर्पण देते समय आप गंगा जल में दूध, तिल, जौ मिलाकर तीन बार जलांजलि दें. ध्यान दें कि जल देते समय मन में कहें वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों. इसके साथ ही गोत्र का नाम लेकर ‘गोत्रे अस्मतपिता (पिता जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः' मंत्र का जप करें.

माता के तर्पण का मंत्र

माता को तर्पण देते समय मन में स्मरण करते हुए माता को तर्पण देते समय अपने गोत्र का नाम (माता का नाम) 'देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः' मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही आप (गोत्र का नाम) 'गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः' मंत्र का भी जप करें.

पितृ गायत्री मंत्र

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

ओम् देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

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