हिन्दू मान्यता के अनुसार, साल की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति का सबसे महत्व ज्यादा है. (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयाग में मकर संक्रांति के स्नान पर्व पर शनिवार सुबह से ही पवित्र स्नान करने वालों का तांता लगा हुआ है. प्रशासन का अनुमान है कि मकर संक्रांति पर लगभग 75 लाख श्रद्धालु 17 घाटों पर आस्था की डुबकी लगाएंगे. इस बीच स्नान को लेकर प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
स्नानपर्व के एक दिन पहले माघ मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई. ऐसे लोग जो संक्रांति से कल्पवास शुरू करेंगे उनका भी आगमन मेला क्षेत्र में हुआ.
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उल्लेखनीय है कि प्रशासन ने पवित्र स्नान के एक दिन पहले तैयारी पूरी करने का दावा किया. पांचों पांटून पुलों का निरीक्षण कर व्यवस्था को देखा गया. इसके साथ ही चकर्ड प्लेटों का निरीक्षण किया गया. मेला क्षेत्र में गुड़, तिल की दुकानें सजीं. संगम तट पर प्रकाश और साउंड की व्यवस्था पूरी कर ली गई है.
ज्योतिषाचार्य अविनाश राय के अनुसार, इससे पांच घंटे पहले और इसके पांच घंटे बाद तक स्नान का शुभ मुहूर्त रहेगा. इस दिन नौ ग्रह को संतुष्ट करने के लिए कंबल, घी, तिल, गौ और गुड़ का दान करने का विधान है.
देश के अन्य भागों में श्रद्धालु पवित्र नदियों, सरोवरों और तालाबों में स्नान कर पुण्य डुबकियां लगा रहे हैं. हरिद्वार, ऋषिकेश, उज्जैन, गढ़मुक्तेश्वर आदि तीर्थस्थानों पर भारी संख्या में दूर-दूर से लोग आये हैं. पश्चिम बंगाल के गंगासागर मेले में श्रद्धालु सागर-संगम में स्नान कपिल मुनि मंदिर दर्शन कर रहे हैं.
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दक्षिण भारत के मंदिरों में श्रद्धालु देवदर्शन के लिए सुबह से पहुंचने शुरू हो गए. तमिलनाडु में इस मौके पर घरों में पोंगल बनाई जा रही है, जिसे सूर्यदेव को अर्पित किया जायेगा और प्रसाद वितरित किया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा जो शाम 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. हिन्दू मान्यता के अनुसार, साल की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति का सबसे महत्व ज्यादा है. कहते हैं, इस दिन सूर्य मकर राशि में आते हैं और इसके साथ देवताओं का दिन शुरु हो जाता है, जो देवशयनी एकादशी से सुप्त हो जाते हैं.
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इनपुट IANS से भी...
स्नानपर्व के एक दिन पहले माघ मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई. ऐसे लोग जो संक्रांति से कल्पवास शुरू करेंगे उनका भी आगमन मेला क्षेत्र में हुआ.
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उल्लेखनीय है कि प्रशासन ने पवित्र स्नान के एक दिन पहले तैयारी पूरी करने का दावा किया. पांचों पांटून पुलों का निरीक्षण कर व्यवस्था को देखा गया. इसके साथ ही चकर्ड प्लेटों का निरीक्षण किया गया. मेला क्षेत्र में गुड़, तिल की दुकानें सजीं. संगम तट पर प्रकाश और साउंड की व्यवस्था पूरी कर ली गई है.
ज्योतिषाचार्य अविनाश राय के अनुसार, इससे पांच घंटे पहले और इसके पांच घंटे बाद तक स्नान का शुभ मुहूर्त रहेगा. इस दिन नौ ग्रह को संतुष्ट करने के लिए कंबल, घी, तिल, गौ और गुड़ का दान करने का विधान है.
देश के अन्य भागों में श्रद्धालु पवित्र नदियों, सरोवरों और तालाबों में स्नान कर पुण्य डुबकियां लगा रहे हैं. हरिद्वार, ऋषिकेश, उज्जैन, गढ़मुक्तेश्वर आदि तीर्थस्थानों पर भारी संख्या में दूर-दूर से लोग आये हैं. पश्चिम बंगाल के गंगासागर मेले में श्रद्धालु सागर-संगम में स्नान कपिल मुनि मंदिर दर्शन कर रहे हैं.
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दक्षिण भारत के मंदिरों में श्रद्धालु देवदर्शन के लिए सुबह से पहुंचने शुरू हो गए. तमिलनाडु में इस मौके पर घरों में पोंगल बनाई जा रही है, जिसे सूर्यदेव को अर्पित किया जायेगा और प्रसाद वितरित किया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा जो शाम 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. हिन्दू मान्यता के अनुसार, साल की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति का सबसे महत्व ज्यादा है. कहते हैं, इस दिन सूर्य मकर राशि में आते हैं और इसके साथ देवताओं का दिन शुरु हो जाता है, जो देवशयनी एकादशी से सुप्त हो जाते हैं.
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