विज्ञापन
This Article is From Jan 22, 2021

Pausha Putrada Ekadashi 2021: कब है पौष पुत्रदा एकादशी, जानिए महत्व और व्रत की विधि

Pausha Putrada Ekadashi 2021: हिन्‍दू धर्म में पौष पुत्रदा एकादशी (Pausha Putrada Ekadashi) का विशेष महत्‍व है.

Pausha Putrada Ekadashi 2021: कब है पौष पुत्रदा एकादशी, जानिए महत्व और व्रत की विधि
Pausha Putrada Ekadashi 2021: हिन्‍दू धर्म में पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्‍व है.
नई दिल्ली:

Pausha Putrada Ekadashi 2021: हिन्‍दू धर्म में पौष पुत्रदा एकादशी (Pausha Putrada Ekadashi) का विशेष महत्‍व है. हिन्‍दू पंचांग के अनुसार, साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं, जिनमें से दो को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) के नाम से जाना  जाता है. पुत्रदा एकादशी श्रावण और पौष शुक्‍ल पक्ष में पड़ती हैं. दोनों ही एकादशियों का विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्‍ति होती है. बता दें कि पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पौष शुक्‍ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है. इस बार यह एकादशी 24 जनवरी 2021 को है. 

पुत्रदा एकादशी का महत्‍व 
सभी एकादश‍ियों में पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है. मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से योग्‍य संतान की प्राप्‍ति होती है. इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की आराधना की जाती है. कहते हैं कि जो भी भक्‍त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं उन्‍हें संतान रूपी रत्‍न मिलता है. ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्‍वर्ग की प्राप्‍ति होती है.  

पुत्रदा एकादशी की व्रत विधि 
- एकादशी के दिन सुबह उठकर भगवान विष्‍णु का स्‍मरण करें. 
- फिर स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें. 
- अब घर के मंदिर में श्री हरि विष्‍णु की मूर्ति या फोटो के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्‍प लें और कलश की स्‍थापना करें. 
- अब कलश में लाल वस्‍त्र बांधकर उसकी पूजा करें. 
- भगवान विष्‍णु की प्रतिमा या फोटो को स्‍नान कराएं और वस्‍त्र पहनाएं. 
- अब भगवान विष्‍णु को नैवेद्य और फलों का भोग लगाएं. 
- इसके बाद विष्‍णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत् पूजा-अर्चना करें और आरती उतारें. 
- पूरे दिन निराहार रहें. शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें. 
- दूसरे दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और यथा सामर्थ्‍य दान देकर व्रत का पारण करें

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com