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Tripura Sundari: मां त्रिपुर सुंदरी का शक्ति पीठ, जहां दर्शन मात्र से मिलता है विजय का वरदान

Tripura Sundari Temple: आस्था के जिस पावन धाम पर आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े नेता तक शीश नवाते हों, उस त्रिपुर सुंदरी मंदिर का क्या है पौराणिक इतिहास? 52 शक्तिपीठ में से एक इस मंदिर की माता को आखिर क्यों कहते हैं संकटमोचन देवी, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

Tripura Sundari: मां त्रिपुर सुंदरी का शक्ति पीठ, जहां दर्शन मात्र से मिलता है विजय का वरदान
Tripura Sundari Temple: त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ

Tripura Sundari Mata Shakti Peeth: देश में शक्ति के कई ऐसे पावन पीठ हैं जहां दर्शन और पूजन करने पर तमाम तरह के कष्ट दूर और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आस्था का एक ऐसा ही पावन पीठ राजस्थान के बांसवाड़ा में स्थित है, जिसे लोग त्रिपुर सुंदरी के नाम से जानते हैं. लोकमान्यता में इन्हें ​संकटों से उबार कर विजय दिलाने वाली देवी के रूप में जाना जाता है. प्राचीन काल में ये गुजरात के सोलंकी राजाओं की इष्ट देवी थी और आज भी यहां राजनीति से जुड़ी बड़ी हस्तियां माता का आशीर्वाद लेने के लिए अक्सर पहुंचती रहती हैं.

900 साल पुराना है त्रिपुर सुंदरी मंदिर का इतिहास

राज राजेश्वरी मां त्रिपुरा सुंदरी के मंदिर का इतिहास 900 साल पुराना है पौराणिक मान्यता से यह 52 शक्तिपीठों में से एक है, जहां पर कभी सती का पीठासन गिरा था. इस मंदिर में तीन देवियों मां काली, सरस्वती और लक्ष्मी के दर्शन होते हैं, इसीलिए इन्हें त्रिपुर सुंदरी कहा गया है. त्रिपुर सुंदरी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष दुलजीभाई पांचाल के अनुसार मंदिर की खासियत ये है की यहां का जो काला पत्थर है वैसा ही पत्थर की मूर्ति अयोध्या में भगवान श्री राम की मूर्ति के लिए इस्तेमाल किया गया है.

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64 योगिनी में से एक है यह शक्तिपीठ

त्रिपुर सुंदरी माता की मूर्ति श्री यंत्र पर स्थापित है. यही कारण है कि देवी की मूर्ति में तेज दिखाई देता है ओर यहां पर की गई साधना शीघ्र ही सफल होती है. श्री यंत्र देवी की शक्ति का प्रबल प्रतीक माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार त्रिपुर सुंदरी तंत्र-मंत्र और यंत्र की शक्ति है. मंदिर के पुजारी मोहन पांड्या के अनुसार देवी का यह मंदिर न सिर्फ सिद्ध शक्तिपीठ बल्कि 64 योगिनी में से एक है.

माता के इस मंदिर में मिलता है विजय का आशीर्वाद

त्रिपुरा सुंदरी मोक्ष और साम्राज्य दोनों की देवी हैं. यही कारण है कि इस मंदिर में चुनावी जीत को हासिल करने के लिए नेतागण चुनाव के पहले पर्चा भरने से पहले और मतदान के बाद यहां विशेष रूप से आते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हर चुनाव के पहले और चुनाव नतीजों की घोषणा के पहले यहां आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचती हैं. मां त्रिपुर सुंदरी के पावन धाम की खासियत है कि यहां आने वाला हर आम और खास व्यक्ति कभी खाली हाथ नहीं लौटता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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