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This Article is From Sep 20, 2017

नवरात्र‍ि 2017: जानिए कलश स्‍थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त

नवरात्र के उपवास की शुरुआत पहले दिन कलश स्‍थापना के साथ होती है. अगर आप मां दुर्गा की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो कलश की स्‍थापना और पूजा शुभ मुहूर्त में ही करें. 

नवरात्र‍ि 2017: जानिए कलश स्‍थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त
मां दुर्गा की आराधना से म‍िलेगा वरदान
नई द‍िल्‍ली: शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का आख‍िरी उपवास यानी नवमी 29 सितंबर को होगी. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिसकी शुरुआत पहले दिन कलश स्‍थापना के साथ होती है. अगर आप मां दुर्गा की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो कलश की स्‍थापना और पूजा शुभ मुहूर्त में ही करें. 

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कलश स्‍थापना का मुहूर्त 
नवरात्रों में कलश स्‍थापना का व‍िशेष महत्‍व है. कलश की स्‍थापना करने से परेशानियां दूर होती हैं और घर में खुशहाली व संपन्‍नता आती है. कलश स्‍थापना के साथ ही नवरात्र के व्रत की शुरुआत होती है. इस बार कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त 21 सितंबर की सुबह 6 बजकर 3 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. वैसे कलश स्‍थापना का दूसरा शुभ मुहूर्त भी है. आप 21 सितंबर की सुबह 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक भी कलश स्‍थापना कर सकते हैं. इस दिन चाहे कलश में जौ बोकर मां का आह्वान करें या नौ दिन के व्रत का संकल्प लेकर ज्योति कलश की स्थापना करें.

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देवी पूजन का शुभ मुहूर्त 
संकल्‍प लेने के बाद नौ दिन तक रोजाना मां दुर्गा का पूजन और उपवास करें. इस बार अभिजीत मुर्हूत सुबह 11 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 24 मिनट तक है. आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अभिजीत मुहूर्त दिन का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. सामान्यत: यह 45 मिनट का होता है. मान्‍यता है कि अगर अभिजीत मुहूर्त में पूजन कर कोई भी शुभ मनोकामना की जाए तो वह निश्चित रूप से पूरी होती है. वहीं, देवी बोधन 26 सितंबर को होगा और इसी दिन मां दुर्गा के पंडालों के पट खोले जाएंगे.

कलश स्‍थापना के लिए जरूरी सामान 
मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्‍के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.

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