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This Article is From Sep 22, 2017

नवरात्र‍ि 2017: दुर्गा मां को ख‍िलाएं उनकी पसंद का खाना, होगी हर मनोकामना पूरी

नवरात्र‍ि में देवी मां को उनका पसंदीदा भोजन अर्पित करने पर दुर्गा जी खुश होती हैं और भक्‍त पर व‍िशेष कृपा बरसाती हैं.

नवरात्र‍ि 2017: दुर्गा मां को ख‍िलाएं उनकी पसंद का खाना, होगी हर मनोकामना पूरी
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भोग से प्रसन्‍न होकर भक्‍त पर व‍िशेष कृपा बरसाती हैं मां
नौ द‍िन अलग-अलग पदार्थ चढ़ाने का व‍िधान
भोग के ब‍िना अधूरा है नवरात्र का उत्‍सव
नई द‍िल्‍ली: एक पुरानी कहावत है कि किसी को खुशी करना हो तो उस व्‍यक्ति को उसका मनपसंद भोजन ख‍िलाना चाहिए. यह बात इंसानों पर तो लागू होती ही है, लेकिन हमारे ईष्‍ट आराध्‍य यानी कि भगवान के साथ भी कुछ ऐसा ही है. ठीक इसी तरह
नवरात्र‍ि में देवी मां को उनका पसंदीदा भोजन अर्पित करने पर दुर्गा जी खुश होती हैं और भक्‍त पर व‍िशेष कृपा बरसाती हैं. हालांकि यह बात भी बिलकुल सच है कि मां दुर्गा को सच्‍चे मन से जो कुछ भी अर्पित किया जाता है उससे वो प्रसन्‍न होती हैं और भक्‍त को मनोकामना पूर्ण होने का वरदान भी देती हैं, लेकिन अगर संभव हो तो मां पसंद का भोग लगाने में पीछे नहीं हटना चाहिए. 

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देवी मां की पसंद जानने से पहले ये जान लीजिए कि शारदीय नवरात्र में क्‍यों देवी मां को व‍िशेष भोग लगाया जाता है? नवरात्र से जुड़ी दो पौराण‍िक कथाएं काफी प्रचलित हैं. एक कथा के मुताबिक महिषासुर नाम का एक बड़ा शक्तिशाली राक्षस था. उसने अमर होने के लिए ब्रह्मा की कठोर तपस्या की.  ब्रह्माजी ने उसकी तपस्‍या से खुश होकर उससे वरदान मांगने के लिए कहा. मह‍िषासुर ने अमर होने का वरदान मांगा. इस पर ब्रह्माजी ने उससे कहा कि जो इस संसार में पैदा हुआ है उसकी मृत्‍यु निश्चित है इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर जो चाहे मांग सकते हो. ब्रह्मा की बातें सुनकर महिषासुर ने कहा कि फिर उसे ऐसा वरदान चाहिए कि उसकी मृत्‍यु देवता और मनुष्‍य के बजाए किसी स्‍त्री के हाथों हो. ब्रह्माजी से ऐसा वरदान पाकर महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया और उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया. देवता युद्ध हार गए और देवलोकर पर महिषासुर का राज हो गया.

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महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की. इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया. शस्‍त्रों से सुसज्जित मां दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक भीषण युद्ध करने के बाद दसवें दिन उसका वध कर दिया. महिषासुर का नाश करने की वजह से दुर्गा मां महिषासुरमर्दिनी नाम से प्रसिद्ध हो गईं. तभी से नवरात्र‍ि का पर्व मनाया जाता है.

दूसरी पौराण‍िक कथा के अनुसार नवरात्र में मां दुर्गा अपने बच्चों, लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक और गणेश के साथ अपने मायके यानी धरती आती हैं. मायके आई लड़की यानी दुर्गा मां को बढ़‍िया भोजन, नए कपड़े और श्रृंगार का सामान अर्प‍ित किया जाता है. दुर्गा मां को भोग लगाए बिना यह उत्‍सव अधूरा रहता है. ख‍िचड़ी, चटनी और खीर देवी मां के प्रिय भोजन हैं.

इसके अलाव नवरात्र के नौ दिनों में देवी मां को नौ अलग-अलग पदार्थ चढ़ाए जाने का व‍िधान है. पहले दिन मां शैलपुत्री को कुट्टू यानी कि  शैलअन्न का भोग लगाया जाता है. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दही का भोग लगाएं. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा पर चौलाई यानी रामदाना का भोग लगाएं. चौथे दिन दिन मां कूष्माण्डा को पेठे का भोग चढ़ाएं. पांचवें दिन मां स्कन्दमाता को जौ-बाजरा का भोग लगाएं. छठे दिन मां कात्यायनी को लौकी का भोग लगाएं. सातवें दिन मां कालरात्रि को काली मिर्च और कृष्ण तुलसी यां काले चने का भोग लगाएं. अष्टमी के दिन मां महागौरी को साबूदाना अर्पित करें. नवमी पर मां सिद्धिदात्री को आंवले का भोग लगाएं.

धरती पर खुश‍ियां बिखेरने के बाद मूर्ति विसर्जन के साथ देवी मां अपने ससुराल भगवान शिव के पास चली जाती हैं.

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