फाइल फोटो
उज्जैन:
उज्जैन में 22 अप्रैल से शुरू होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेला क्षेत्र में शुक्रवार को चौथी पेशवाई निकली। आनंद अखाड़ा पंचायती की इस पेशवाई में नागा साधुओं के अस्त्र-शस्त्र का कौशल आकर्षण का केंद्र रहा। आनंद अखाड़े के पड़ाव स्थल नील गंगा पर इष्टदेव भगवान सूर्यनारायण एवं भाला निशान की पूजा-अर्चना के बाद पेशवाई शुरू हुई। प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी जी के साथ पेशवाई में भाग लिया।
चांदी का त्रिशूल लिए चल रहे थे साधू...
पेशवाई में सबसे आगे चांदी का त्रिशूल व अखाड़े की ध्वजा लिए साधु-संत चल रहे थे, उनके पीछे भगवान सूर्यनारायण देव को चांदी की पालकी में लिए नागा साधु उठाकर चल रहे थे। इसके बाद सफेद घोड़ों पर सवार नागा साधु 'जय जय महाकाल' का उद्घोष कर रहे थे। इनके पीछे-पीछे नागा साधुओं का दल अस्त्र-शस्त्र के करतब दिखाता हुआ चल रहा था।
पेशवाई में तीन महिला महामंडलेश्वर भी...
पेशवाई में नागा संन्यासियों के पीछे रथ में सबसे आगे आनंद अखाड़ा पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर गहनानंद गिरी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते चल रहे थे, उसके बाद महामंडलेश्वरों के रथ थे। इस पेशवाई में तीन महिला महामंडलेश्वर भी थीं।
पुष्प-वर्षक तोप से फूलों की वर्षा...
पेशवाई में दो हाथी, सात घोड़े, 21 रथ और 11 बैंड शामिल थे। इसके साथ ही पेशवाई में शामिल विदेशी श्रद्धालुओं का दल भी आकर्षण का केंद्र रहा। पेशवाई में पुष्प-वर्षक तोप से फूलों की वर्षा की गई।
ढोल-ढमाकों, बैंडबाजों के साथ हुई पेशवाई...
पेशवाई ढोल-ढमाकों, बैंडबाजों के साथ नीलगंगा आनंद अखाड़े के पड़ाव स्थल से शुरू होकर फ्रीगंज, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर से दानीगेट, छोटी रपट, हनुमानबाग से होती हुई अखाड़े की सिंहस्थ छावनी में पहुंची।
यह थी सिंहस्थ कुंभ की चौथी पेशवाई...
सिंहस्थ कुंभ की यह चौथी पेशवाई है, इसे प्रवेशाई भी कहा जाता है, क्योंकि साधु-संत अपने साथियों के समूह के साथ सिंहस्थ में प्रवेश करते है। पहली पेशवाई जूना अखाड़े की पांच अप्रैल को निकली थी, दूसरी पेशवाई आवाहन अखाड़ा की 10 अप्रैल को और तीसरी पेशवाई पंचतपो निधि निरंजनी अखाड़े की 11 अप्रैल को निकल चुकी है।
चांदी का त्रिशूल लिए चल रहे थे साधू...
पेशवाई में सबसे आगे चांदी का त्रिशूल व अखाड़े की ध्वजा लिए साधु-संत चल रहे थे, उनके पीछे भगवान सूर्यनारायण देव को चांदी की पालकी में लिए नागा साधु उठाकर चल रहे थे। इसके बाद सफेद घोड़ों पर सवार नागा साधु 'जय जय महाकाल' का उद्घोष कर रहे थे। इनके पीछे-पीछे नागा साधुओं का दल अस्त्र-शस्त्र के करतब दिखाता हुआ चल रहा था।
पेशवाई में तीन महिला महामंडलेश्वर भी...
पेशवाई में नागा संन्यासियों के पीछे रथ में सबसे आगे आनंद अखाड़ा पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर गहनानंद गिरी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते चल रहे थे, उसके बाद महामंडलेश्वरों के रथ थे। इस पेशवाई में तीन महिला महामंडलेश्वर भी थीं।
पुष्प-वर्षक तोप से फूलों की वर्षा...
पेशवाई में दो हाथी, सात घोड़े, 21 रथ और 11 बैंड शामिल थे। इसके साथ ही पेशवाई में शामिल विदेशी श्रद्धालुओं का दल भी आकर्षण का केंद्र रहा। पेशवाई में पुष्प-वर्षक तोप से फूलों की वर्षा की गई।
ढोल-ढमाकों, बैंडबाजों के साथ हुई पेशवाई...
पेशवाई ढोल-ढमाकों, बैंडबाजों के साथ नीलगंगा आनंद अखाड़े के पड़ाव स्थल से शुरू होकर फ्रीगंज, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर से दानीगेट, छोटी रपट, हनुमानबाग से होती हुई अखाड़े की सिंहस्थ छावनी में पहुंची।
यह थी सिंहस्थ कुंभ की चौथी पेशवाई...
सिंहस्थ कुंभ की यह चौथी पेशवाई है, इसे प्रवेशाई भी कहा जाता है, क्योंकि साधु-संत अपने साथियों के समूह के साथ सिंहस्थ में प्रवेश करते है। पहली पेशवाई जूना अखाड़े की पांच अप्रैल को निकली थी, दूसरी पेशवाई आवाहन अखाड़ा की 10 अप्रैल को और तीसरी पेशवाई पंचतपो निधि निरंजनी अखाड़े की 11 अप्रैल को निकल चुकी है।
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