Muharram 2019: मुहर्रम (Muharram) इस्लामी महीना है और इससे इस्लाम धर्म के नए साल की शुरुआत होती है. इस बार मुहर्रम का महीना 01 सितंबर से 28 सितंबर तक है. लेकिन 10वें मुहर्रम को हजरत इमाम हुसैन की याद में मुस्लिम मातम मनाते हैं. मान्यता है कि 10वें मोहर्रम के दिन ही इस्लाम की रक्षा के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने प्राण त्याग दिए थे. वैसे तो मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का महीना है लेकिन आमतौर पर लोग 10वें मोहर्रम को सबसे ज्यादा तरजीह देते हैं. इस बार 10वां मोहर्रम 10 सितंबर को है. इस दिन को रोज-ए-आशुरा (Roz-e-Ashura) कहते हैं. यहां पर हम आपको मुहर्रम से जुड़ी हुई शायरी और विचार बता रहे हैं जिन्हें आप अपने करीबियों या फिर दोस्त को भी भेज सकते हैं.
Muharram 2019: आखिर मुहर्रम के दिन क्यों मनाया जाता है मातम?
Muharram 2019 Shayari, Images And Quotes
क्या हक अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पर कर्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैलाकर मांग लो मुमीनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
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सलाम या हुसैन
अपनी तकदीर जगाते हैं मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अकीदत का सलीका ये है
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से
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जन्नत की आरज़ू में
कहां जा रहे हैं लोग
जन्नत तो करबला में
खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरात में
जो रहना हो चैन से
जीना अली से सीखो
मरना हुसैन से
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नज़र गम है नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है
बगैर उनके नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है
नबी कहते थे अकसर के अकसर ज़िक्र-ए-हैदर से
मेरे कुछ जान निसारों को बड़ी तकलीफ होती है
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सजदा से करबला को बंदगी मिल गई
सबर से उम्मत को ज़िंदगी मिल गई
एक चमन फातिमा का गुज़रा
मगर सारे इस्लाम को ज़िंदगी मिल गई.
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कत्ल-ए-हुसैन असल में मार्ग-ए-यजीद है
इस्लाम ज़िंदा होता है हर करबला के बाद
जब भी कभी ज़मीर का सौदा हो
कायम रहो दोस्तों हुसैन के इंकार की तरह
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला
और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन?
हुसैन है इस्लाम को बनाने वाला
न हिला पाया वो रब की मेहर को
भले जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगम्बर
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने
सजदे में जाकर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पर सिर था और जबान पर आयतें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने
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