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This Article is From Dec 23, 2020

Mokshada Ekadashi 2020: 25 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी, सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है ये व्रत

साल 2020 की आखिरी एकादशी इस बार 25 दिसंबर को है और इसे मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

Mokshada Ekadashi 2020: 25 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी, सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है ये व्रत
Mokshada Ekadashi 2020: 25 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी, सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है ये व्रत

Mokshada Ekadashi 2020: 25 दिसंबर 2020 शुक्रवार को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2020) है, इसे वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं. हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियाँ होती हैं. जब अधिकमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi)  कहा जाता है. यह व्रत सर्व मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है.

जानें कब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का महान और पवित्र उपदेश

मोक्षदा एकादशी का महत्व

पद्म पुराण में भगवान श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर से कहते हैं-इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप आदि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए. मोक्षदा एकादशी बडे-बडे पातकों का नाश करने वाली है. इस दिन उपवास रखकर श्री हरि के नाम का संकीर्तन, भक्ति गीत, नृत्य करते हुए रात्रि में जागरण करें.

सारे पाप नष्ट हो जाते हैं

पूर्वकाल में वैखानस नामक राजा ने पर्वत मुनि के द्वारा बताए जाने पर अपने पितरों की मुक्ति के उद्देश्य से इस एकादशी का सविधि व्रत किया था. इस व्रत के पुण्य-प्रताप से राजा वैखानस के पितरों का नरक से उद्धार हो गया. जो इस कल्याणमयी मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. प्राणियों को भवबंधन से मुक्ति देने वाली यह एकादशी चिन्तामणि के समान समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली है.

मोक्षदा एकादशी की कथा पढने-सुनने से वाजपेय यज्ञ का पुण्य फल मिलता है

मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा पढने-सुनने से वाजपेय यज्ञ का पुण्य फल मिलता है. मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन ही कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद् गीता का उपदेश दिया था. अत: यह तिथि गीता जयंती के नाम से विख्यात हो गई. इस दिन से गीता-पाठ का अनुष्ठान प्रारंभ करें तथा प्रतिदिन थोडी देर गीता अवश्य पढें. गीतारूपीसूर्य के प्रकाश से अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाएगा.

इसे वैकुण्ठ एकादशी, मुक्कोटी एकादशी, मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं

इसे वैकुण्ठ एकादशी, मुक्कोटी एकादशी, मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं. इस समय - वैकुण्ठ एकादशी हिन्दु कैलेण्डर में धनु सौर माह के दौरान पड़ती है. धनुर्मास के दौरान दो एकादशी आती हैं, जिसमें से एक शुक्ल पक्ष के दौरान और दूसरी कृष्ण पक्ष के दौरान आती है. जो एकादशी शुक्ल पक्ष के दौरान आती है उसे वैकुण्ठ एकादशी कहते हैं. क्योंकि वैकुण्ठ एकादशी का व्रत सौर मास पर निर्धारित होता है, इसीलिए यह कभी मार्गशीर्ष चन्द्र माह में और कभी पौष चन्द्र माह में हो जाती है. अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार, एक साल में कभी एक, कभी दो बार वैकुण्ठ एकादशी होती है.

मोक्षदा एकादशी व्रत से लाभ

वैकुण्ठ एकादशी को मुक्कोटी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन वैकुण्ठ, जो की भगवान विष्णु का निवास स्थान है, का द्वार खुला होता है. जो श्रद्धालु इस दिन एकादशी का व्रत करते हैं, उनको स्वर्ग की प्राप्ति होती है और उन्हें जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति अर्थात् मोक्ष मिल जाता है.

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