मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मत्सय द्वादशी (Matsya Dwadashi 2021) के रूप में मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ की जाती है. बताया जाता है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध कर वेदों की रक्षा की थी, इसीलिए मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है. इस साल मत्सय द्वादशी 15 दिसंबर, 2021 यानि आज (बुधवार) मनाई जा रही है.
मत्स्य द्वादशी का महत्व | Matsya Dwadashi Significance
हिंदू धर्म में मत्स्य द्वादशी का विशेष महत्व है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु के 12 अवतार में प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है. माना जाता है कि मत्स्य द्वादशी के दिन जो भी भक्त सच्चे मन से पूरी श्रद्धा से निष्ठापूर्वक भगवान विष्णु का पूजन करता है, उसके सारे कार्य सिद्ध हो जाते है. माना जाता है कि इस दिन अपने भक्त के पूजन से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनके सभी संकटों को क्षण में दूर कर देते हैं.
मत्स्य द्वादशी पूजन विधि | Matsya Dwadashi Pujan Vidhi
इस दिन सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धरण करें.
इसके बाद पूजा स्थल में चार भरे कलश में पुष्प डालकर स्थापित करें. बता दें कि यह चार कलश समुद्र का प्रतीक माने जाते हैं.
इसके उपरांत चारों कलश को तिल की खली से ढक कर इनके सामने भगवान श्री हरि विष्णु की पीली धातु की प्रतिमा स्थापित करें.
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इसके बाद भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं.
अब भगवान श्री हरि को केसर का तिलक लगाएं.
इसके बाद गेंदे के फूल, तुलसी के पत्ते अर्पित करें.
इसके उपरांत मिठाई का भोग लगाकर इस मंत्र का जाप करें-ॐ मत्स्य रूपाय नमः.
पूजा के आखिर में आरती जरूर करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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