हर साल मार्गशीर्ष माह और पौष माह के बीच में खारमस (Kharamas 2021) लगता है. हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है. देवउठनी एकादशी के बाद विवाह के लिए करीब 15 शुभ मुहूर्त के बाद खरमास 14 जनवरी 2022 तक लग रहा है. इस बीच मांगलिक कार्य नहीं किये जाते. खरमास के महीने को शास्त्रों में शुभ नहीं माना गया है. खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है, इसे आप 'दुष्टमास' भी कह सकते हैं. यही वजह है कि खरमास (Kharmas 2021 Date) में शादी-विवाह, गृह आरंभ, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण आदि शुभ मांगलिक कार्य शास्त्रानुसार निषेध कहे गए हैं. मान्यता है कि खरमास के दौरान मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है. माना जाता है कि इस महीने में सूर्य की चाल धीमी हो जाती है, जिसके चलते कोई भी शुभ कार्य सफल नहीं होता.
जानें, क्यों लगता है खरमास
सूर्य ग्रह को सबसे प्रधान ग्रह माना जाता है. यह एक राशि में लगभगन एक महीने तक रहता है. सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहा जाता है. वहीं जब सूर्यदेव देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन आते हैं, खरमास लग जाता है.
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खरमास का महत्व
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, खरमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इस महीने में विवाह, मुण्डन, उपनयन संस्कार करने की मनाही होती है. इसके साथ ही इस माह में मकान निर्माण और जमीन की खरीद या नये काम की शुरूआत नहीं किए जाते हैं. खरमास में जौं, तिल, जीरा, सेंधा नमक, मूंग की दाल, सुपारी आदि नहीं खाना चाहिए. खरमास में सूर्य देव, भगवान विष्णु और अपने इष्ट देव की उपासना करनी चाहिए. इस माह में आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना शुभ माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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