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This Article is From Aug 23, 2023

कब रखा जाएगा सावन का अंतिम मंगला गौरी व्रत, यहां जानिए व्रत का महत्व

Vrat 2023 : इस साल अधिकमास होने के कारण सावन माह कुल 58 दिन का हो गया है. इस लिहाज से देखा जाए तो चार की बजाय नौ मंगला गौरी व्रत आ रहे हैं.

कब रखा जाएगा सावन का अंतिम मंगला गौरी व्रत, यहां जानिए व्रत का महत्व
मंगला गौरी (Mangla gauri vrat niyam) का व्रत पहली बार रखने जा रही हैं तो इसके नियम जरूर जान लेने चाहिए.

Sawan Last Mangla Gauri Vrat 2023: हर साल सावन माह के हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी (Mangla Gauri Vrat) व्रत रखा जाता है. इस साल यानी 2023 में अधिकमास होने के कारण पूरे सावन माह में कुल नौ मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे. आखिरी मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat 2023) सावन माह के आखिरी मंगलवार को रखा जाता है. मंगला गौरी व्रत की महत्ता की बात करें तो ये व्रत मंगला गौरी नाम से मशहूर माता पार्वती (Mata Parvati) के लिए रखा जाता है.

इस व्रत को करने से जातक के सुखमय वैवाहिक जीवन के योग बनते हैं और अविवाहित लड़कियों (Unmarried Girls) के जल्द विवाह के योग भी बनते हैं. सावन में जहां हर सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है, वहीं सावन के हर मंगलवार को माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा का प्रावधान है और इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए की गई प्रार्थना पूरी होती है.

कल रखा जाएगा मंगला गौरी का व्रत, यहां जानिए पूजा विधि और महत्व

इस दिन रखा जाएगा मंगला गौरी व्रत | Mangla gauri vrat date in 2023

इस साल अधिकमास होने के कारण सावन माह कुल 58 दिन का हो गया है. इस लिहाज से देखा जाए तो चार की बजाय नौ मंगला गौरी व्रत आ रहे हैं. ऐसे में सावन माह का नौवां और आखिरी मंगला गौरी व्रत 29 अगस्त को रखा जाएगा. मान्यता है कि इस व्रत की शुरूआत खुद माता पार्वती का स्वरूप कही जाने वाली माता गौरी ने की थी. माता गौरी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए व्रत रखा और इसे मंगला गौरी व्रत कहा गया.

कैसे रखें मंगला गौरी का व्रत | How to do mangla gauri vrat

मंगला गौरी का व्रत पहली बार रखने जा रही हैं तो इसके नियम जरूर जान लेने चाहिए. व्रती को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके घर को साफ करना चाहिए. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना एक चौकी पर करें और व्रत का संकल्प लें. अब मां गौरी को सिंदूर लगाएं, उनको धूप दीप और नेवैद्य अर्पित करें. इसके बाद सुहाग की सामग्री भी अर्पित करें और भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की भी आरती करें. इसके बाद मंगला गौरी की आरती करें और व्रत कथा सुनें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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