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This Article is From Aug 16, 2023

आज खत्म हो रहा है मलमास, 18 से शुरू होगा श्रावण का दूसरा पक्ष

Shiva ji poja : आपको बता दें कि दूसरे पक्ष के सावन में 21 और 28 को सावन का व्रत रख जाएगा. दूसरे पक्ष के सावन में कई त्योहार पड़ने वाले हैं, जिसके बारे में हम आपको बताने वाले हैं.  

आज खत्म हो रहा है मलमास, 18 से शुरू होगा श्रावण का दूसरा पक्ष
शंकराय नमः । ॐ महादेवाय नमः। ॐ महेश्वराय नमः। ॐ श्री रुद्राय नमः। ॐ नील कंठाय नमः।

Shravan masik 2023 : आज अधिकमास यानी मलमास (malmas 2023) का समापन हो जाएगा. 17 अगस्त को संक्रांति के बाद श्रावण मास का दूसरा पक्ष शुरू हो जाएगा, जो 31 अगस्त को रक्षाबंधन (rakshabandhan 2023) के साथ समाप्त हो जाएगा. आपको बता दें कि दूसरे पक्ष के सावन में 21 और 28 को सावन का व्रत रख जाएगा. दूसरे पक्ष के सावन में कई त्योहार पड़ने वाले हैं, जिसके बारे में हम आपको बताने वाले हैं.  

सावन के दूसरे पक्ष में पड़ने वाला त्योहार

सावन के दूसरे पक्ष में इस बार मनसा पूजा, मधु श्रावणी, झूलन जैसे पर्व पड़ेंगे. 16 अगस्त को मधु श्रावणी संयत व 17 अगस्त को कथा प्रारंभ होगी जो 19 अगस्त को समाप्त होगी. इसके अलावा 18 अगस्त को मनसा पूजा, 21 अगस्त को नाग पंचमी व 27 से 31 अगस्त तक झूलन पूजा रहेगी. 

इन शिव मंत्रों से करें भोलेनाथ की पूजा

- शंकराय नमः ।
ॐ महादेवाय नमः।
ॐ महेश्वराय नमः।
ॐ श्री रुद्राय नमः।
ॐ नील कंठाय नमः।

- नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।

- निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं।
गुणागार संसारपारं नतोऽहम्।

- तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।

- चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि।

- प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं।
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्।

- कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।

- न यावत् उमानाथ पादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम्।

- न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो।

- रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

  

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