Mahananda Navami 2023: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को नंदा नवमी के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 21 दिसंबर को नंदा नवमी का व्रत रखा जाएगा. मान्यता है कि नंदा नवमी के दिन माता लक्ष्मी और माता दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में परेशानियों का अंत हो जाता है. महानंदा नवमी का व्रत (Mahananda Navami Vrat) रखने और पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है. इस दिन पूजा-पाठ, स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. पूजा के साथ-साथ इस व्रत के दिन श्री महानंदा व्रत कथा का पाठ भी करना चाहिए.
महानंदा नवमी व्रत कथा | Mahananda Navami Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, बहुत समय पहले एक साहुकार की पुत्री पीपल की नियमित पूजा करती थी. पीपल के पेड़ पर माता लक्ष्मी का वास था. माता लक्ष्मी (Ma Lakshmi) की साहुकार की बेटी से मित्रता हो गई. एक दिन लक्ष्मी जी साहुकार की बेटी को अपने घर ले गई और उसकी खूब खातिरदारी की. साहुकार की बेटी लौटने लगी तो लक्ष्मी जी ने उससे पूछा कि तुम मुझे अपने घर कब बुला रही हो. साहुकार की बेटी ने कुछ अनमने भाव से मां लक्ष्मी को अपने घर आने का न्यौता दिया. साहुकार ने अपनी बेटी को उदास देखकर पूछा तो उसने बताया कि मां लक्ष्मी की तुलना में हमारे घर कुछ नहीं है. हम उनकी खातिरदारी कैसे करेंगे.
साहुकार ने समझाया कि जो हमारे पास है उसी से उनकी खातिरदारी करेंगे. इसके बाद साहुकार की पुत्री ने चौकी लगायी और उस पर चौमुख दीपक जलाकर लक्ष्मी माता को स्मरण करते हुए बैठ गई. तभी आकाश में उड़ती एक चील ने बेटी के गले में नौलखा हार गिरा दिया. हार को बेचकर बेटी ने सोने की थाली, शाल दुशाला और कई व्यंजनों की तैयारी कर ली. मां लक्ष्मी गणेश भगवान के साथ साहुकार के घर पधारीं और सेवा से प्रसन्न होकर साहुकार और उसकी बेटी को हर प्रकार की समृद्धि प्रदान की. इसलिए ऐसी मान्यता है कि जो कोई श्रद्धा से नंदा नवमी का व्रत रखकर माता लक्ष्मी की पूजा करता है उसे गरीबी से मुक्ति मिल जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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