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Mahalaya 2025: महालया के दिन पितरों की विदाई के साथ कैसे करें मां भगवती का स्वागत?

Mahalaya Amavasya 2022: सनातन परंपरा में आश्विन मास की अमावस्या जिसे महालया भी कहते हैं, उसका क्या धार्मिक महत्व है? पितृ विसर्जन के दिन पितरों का आशीर्वाद पाने और देवी दुर्गा के स्वागत के लिए क्या करना चाहिए, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Mahalaya 2025: महालया के दिन पितरों की विदाई के साथ कैसे करें मां भगवती का स्वागत?
Mahalaya Amavasya 2025: महालया का महाउपाय और धार्मिक महत्व.
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Mahalaya 2025: सनातन परंपरा में आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या, पितृ विसर्जन, महालया और महालया अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार महालया पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है, जिसमें सभी भूले-बिसरे लोगों का जिनकी तिथि याद न हो उनके लिए श्राद्ध और पितरों की विधि-विधान से विदाई की जाती है. महालया के दिन जहां पितरों को संतुष्ट करके विदा किया जाता है, वहीं इसी दिन देवी दुर्गा की 9 दिनी साधना-आराधना के लिए स्वागत किया जाता है. पश्चिम बंगाल जहां पर दुर्गा पूजा हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाई जाती है, वहां पर इस दिन लोगों में काफी उत्साह रहता है. आइए महालया पर्व से जुड़ी खास बातों को विस्तार से जानते हैं. 

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महालया पर कैसे मिलेगा पितरों का आशीर्वाद 

हिंदू मान्यता के अनुसार महालया के दिन ​ज्ञात और अज्ञात दिवंगत लोगों का श्राद्ध विशेष रूप से होता है. यदि आप पितृपक्ष के 15 दिनों में अपने पितरों के लिए कुछ न कर पाए हों तो इस दिन आप विधि-विधान से श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करके उनका आशीवाद प्राप्त कर सकते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार महालया अमावस्या के दिन किसी पवित्र जल तीर्थ पर जाकर स्नान-ध्यान करके सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद सबसे पहले सूर्य देवता को अर्घ्य दें और उसके बाद पितरों के लिए तर्पण करें. फिर किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर उसे आदर सत्कार के साथ भोजन कराएं और लौटते समय उसे अन्न, धन आदि देकर उसका आशीर्वाद लें. 

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महालया पर कैसे देवी का स्वागत 

सनातन परंपरा में महालया का दिन शक्ति के साधकों के लिए बहुत ज्यादा मायने रखता है. यह पर्व दुर्गा पूजा से तकरीबन एक सप्ताह पहले मां भगवती के स्वागत से जुड़ा है. इस दिन शक्ति के साधक पितृपक्ष 15 दिनों बाद खुद को पवित्र करके देवी पूजा की तैयारियों में जुट जाते हैं. इसे शक्ति की साधना का शुभारंभ माना जाता है. महालया के दिन से ही मां भगवती की पूजा और उनके लिए मनाए जाने वाले उत्सव की तैयारियां प्रारंभ हो जाती हैं. 

महालया का महाउपाय 

महालया के दिन पितरों का आशीर्वाद पाने और देवी दुर्गा के स्वागत के लिए आपको इस दिन धर्म-कर्म से जुड़े कुछ कार्य विशेष रूप से करने चाहिए. पितृपक्ष के आखिरी दिन महालया पर अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक याद करें और उनके लिए ईश्वर से मुक्ति की प्रार्थना करें. इस दिन व्यक्ति को अपने पितरों के लिए घर के दक्षिण दिशा में विशेष रूप से ​दीया जलाना चाहिए. 

महालया पर देवी दुर्गा के स्वागत के लिए इस दिन अपने घर के पूजा स्थान को साफ करके शाम के समय चंडी पाठ करें. 
नवरात्रि में कलश स्थापना से ठीक एक दिन पहले महालया पर देवी दुर्गा को श्रद्धापूर्वक मन निमंत्रण दें कि वे आपके घर में पधारें और आपकी 9 दिनों की साधना को सफल बनाएं. महालया के दिन देवी दुर्गा के स्वागत के लिए विशेष प्रार्थना और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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