फाइल फोटो
उज्जैन:
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहे धार्मिक समागम सिंहस्थ कुंभ में हिस्सा लेने आए विदेशी भी 'ग्रीन उज्जैन-क्लीन उज्जैन' अभियान से जुड़कर स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। उज्जैन में 22 अप्रैल से शुरू हुए सिंहस्थ में शामिल होने बड़ी संख्या में देशी ही नहीं, विदेशी श्रद्धालु और पर्यटक भी पहुंच रहे हैं।
क्षिप्रा को अविरल, प्रवाहमान और उज्जैन को स्वच्छ बनाने के लिए सिंहस्थ कुंभ में आए विदेशी श्रद्घालु नदी के घाटों पर जाकर स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। इस अभियान से जुड़ने वालों में अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी तथा कई दक्षिण एशियाई देशों से आए श्रद्धालु शामिल हैं।
भारतीय संस्कृति से रू-ब-रू होने का मौका...
सरकार की ओर से बुधवार देर शाम जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका से आई बाक्टी और जेनी भी इस अभियान से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि उनकी महाकाल में अनन्य आस्था है। उन्होंने पहले उज्जैन के बारे में केवल सुना ही था, अब उन्हें इससे रू-ब-रू होने का मौका मिला है। वे सिंहस्थ कुंभ में आकर खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं। वे यहां की विविधतापूर्ण संस्कृति को देखकर अभिभूत हैं। उनका मत है कि यह संस्कृति ही भारत की पहचान है।
बाक्टी और जेनी कहती हैं कि वे यहां के समागम में जुटे विभिन्न संप्रदाय, पंथ, और अखाड़ों को देखकर अभिभूत हैं, क्योंकि सभी का उद्देश्य एक ही है, आध्यात्म और मानव-कल्याण। यहां की संस्कृति से वे इतनी प्रभावित हुई हैं कि अब वे उज्जैन और भारत बार-बार आना चाहेंगी।
क्षिप्रा को अविरल, प्रवाहमान और उज्जैन को स्वच्छ बनाने के लिए सिंहस्थ कुंभ में आए विदेशी श्रद्घालु नदी के घाटों पर जाकर स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। इस अभियान से जुड़ने वालों में अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी तथा कई दक्षिण एशियाई देशों से आए श्रद्धालु शामिल हैं।
भारतीय संस्कृति से रू-ब-रू होने का मौका...
सरकार की ओर से बुधवार देर शाम जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका से आई बाक्टी और जेनी भी इस अभियान से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि उनकी महाकाल में अनन्य आस्था है। उन्होंने पहले उज्जैन के बारे में केवल सुना ही था, अब उन्हें इससे रू-ब-रू होने का मौका मिला है। वे सिंहस्थ कुंभ में आकर खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं। वे यहां की विविधतापूर्ण संस्कृति को देखकर अभिभूत हैं। उनका मत है कि यह संस्कृति ही भारत की पहचान है।
बाक्टी और जेनी कहती हैं कि वे यहां के समागम में जुटे विभिन्न संप्रदाय, पंथ, और अखाड़ों को देखकर अभिभूत हैं, क्योंकि सभी का उद्देश्य एक ही है, आध्यात्म और मानव-कल्याण। यहां की संस्कृति से वे इतनी प्रभावित हुई हैं कि अब वे उज्जैन और भारत बार-बार आना चाहेंगी।
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