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This Article is From Nov 24, 2016

भगवान शिव ने दिया वृहस्पति को नवग्रहों में स्थान, जानें सबसे शुभ ग्रह वृहस्पति से जुड़े तथ्य और मिथक

भगवान शिव ने दिया वृहस्पति को नवग्रहों में स्थान, जानें सबसे शुभ ग्रह वृहस्पति से जुड़े तथ्य और मिथक
भारतीय धर्मशास्त्रों में वृहस्पति ग्रह को देवताओं का गुरु और शील और धर्म का अवतार माना गया है. भारतीय वैदिक ज्योतिष में ये नवग्रहों (सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू, केतु) के समूह में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने गए हैं. ये ज्ञान, धन, पुत्र और वाग्मिता के कारक माने गए हैं.

इनका वर्ण सुवर्ण के समान पीला माना गया है. इनके पास एक दण्ड, कमल और जपमाला रहती है. सप्ताह के दिनों में ये वृहस्पतिवार (गुरूवार) के स्वामी माने गए हैं.

धनु राशि और मीन राशि के स्वामी हैं वृहस्पति
ज्योतिष के अनुसार, वृहस्पति धनु राशि और मीन राशि के स्वामी हैं. वे कर्क राशि में उच्च के और मकर राशि में नीच माने जाते हैं. सूर्य चंद्रमा और मंगल ग्रह वृहस्पति के लिए मित्र ग्रह है, बुध शत्रु है और शनि तटस्थ है. वृहस्पति तीन नक्षत्रों, पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा भाद्रपद के स्वामी माने गए हैं.

वेदों में प्रथम ऋग्वेद में उल्लेख मिलता है कि वे ऋषि अंगिरस के पुत्र थे, जबकि शिव पुराण में उन्हें सुरुप का पुत्र माना गया है. इनके दो भाई हैं- उतथ्य एवं सम्वर्तन. धर्मशास्त्रों के अनुसार, इनकी तीन अर्धांगनियां (पत्नियां) हैं. प्रथम पत्नी शुभा ने सात पुत्रियों- भानुमति, राका, अर्चिष्मति, महामति, महिष्मति, सिनिवली और हविष्मति को जन्म दिया था. दूसरी पत्नी तारा से इनके सात पुत्र और एक पुत्री हुए, जबकि तृतीय पत्नी ममता से दो पुत्र हुए कच और भारद्वाज उत्पन्न हुए.

वृहस्पति ने प्रभास तीर्थ में की थी तपस्या
वृहस्पति ने गुजरात के प्रभास तीर्थ के तट पर भगवान शिव की अखण्ड तपस्या की थी. शिव ने उनकी विकट तपस्या और ज्ञान के कारण उन्हें देवगुरु पद दिया था. भगवाण शिव ने ही उन्हें नवग्रह में भी एक स्थान दिया था.

वैदिक ज्योतिष वृहस्पति को आकाश का तत्त्व माना गया है, जो उनकी विशालता, विकास और व्यक्ति की कुंडली और जीवन में उसके विस्तार के परिचायक हैं. वे पिछले जन्मों के कर्म, धर्म, दर्शन, शिक्षा, ज्ञान और संतान से संबंधित विषयों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

मधुमेह का संबंध कुण्डली में वृहस्पति से
जिनकी कुंडली में वृहस्पति उच्च के होते हैं, वे मनुष्य जीवन काफी प्रगति करते हैं. वृहस्पति प्रधान व्यक्ति कुछ मोटे या वसायुक्त होते हैं. मधुमेह का संबंध कुण्डली में वृहस्पति से माना गया है.

पीला रंग, स्वर्ण (सोना), पुखराज और पीला नीलम, शीत ऋतु (हिम), पूर्व दिशा आदि में वृहस्पति का वास माना गया है. विंशोत्तरी दशा क्रम में इनकी महादशा 16 वर्ष की होती है.

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