भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा (फोटो साभार: srijagannathmandir.in)
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में यमुना किनारे स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ को पिछले सोमवार (20 जून) को बुखार चढ़ आया था। तब से उन्हें औषधियुक्त काढ़ा पिलाया जा रहा है साथ ही छेना और फलों का रस दिया जा रहा है।
महंत ने बनाया डायट चार्ट...
उल्लेखनीय है कि बीमार हुए भगवान जगन्नाथ को स्वस्थ करने के लिए उपचार के तहत मंदिर के महंत ने बाकायदा डायट चार्ट बनाया है। इस चार्ट के अनुसार भगवान जगन्नाथ को नित्य सेवा के अतिरिक्त चार पहर दिए जाने वाली विशेष सेवा का समय और सेवित की जाने वाली वस्तुओं का निर्धारण किया है।
इस दिन बीमार हो जाते हैं भगवान...
परंपरा के अनुसार हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ तब बीमार पड़ जाते हैं, जब उन्हें नगर का भ्रमण करवाने और यमुना में स्नान करवाने ले जाया जाता है। इसके 15 दिनों तक वे किसी को दर्शन नहीं देते हैं।
15 दिन नहीं देते हैं दर्शन...
भगवान के जगन्नाथ के बीमार होने के बाद मंदिर के कपाट 15 दिन बाद खुलते हैं, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। भगवान जगन्नाथ 20 जून को बीमार हुए थे। तभी से मंदिर के पट बंद कर उनकी स्वास्थ्य सेवा की जा रही है।
ये हैं भगवान का डायट चार्ट...
इन 15 दिनों में अन्न से बना भोग और आहार भगवान को नहीं दिया जाता है। उन्हें सेवित करने वाली प्रत्येक वस्तु का समय निर्धारित है, ये इस प्रकार हैं:
प्रात:काल - विभिन्न प्रकार के फलों का रस
नौ बजे - दूध
दोपहर 12 बजे - छेना का भोग और फलों का रस
शाम चार बजे - फलों का रस
रात में सोने से पहले (करीब साढ़े आठ बजे) - मीठा दूध
दोपहर और शाम में दिया जाता है काढ़ा...
साथ ही दिन में दो बार, दोपहर 12 बजे और शाम सात बजे होने वाली आरती से पहले भगवान जगन्नाथ को औषधियों से तैयार काढ़े का भोग को लगाया जाता है। साथ ही प्रभु भगवान शीतलता प्रदान करने के लिए भी नित्य शीतल लेप और अंगराग सेवा की जाती है।
महंत ने बनाया डायट चार्ट...
उल्लेखनीय है कि बीमार हुए भगवान जगन्नाथ को स्वस्थ करने के लिए उपचार के तहत मंदिर के महंत ने बाकायदा डायट चार्ट बनाया है। इस चार्ट के अनुसार भगवान जगन्नाथ को नित्य सेवा के अतिरिक्त चार पहर दिए जाने वाली विशेष सेवा का समय और सेवित की जाने वाली वस्तुओं का निर्धारण किया है।
इस दिन बीमार हो जाते हैं भगवान...
परंपरा के अनुसार हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ तब बीमार पड़ जाते हैं, जब उन्हें नगर का भ्रमण करवाने और यमुना में स्नान करवाने ले जाया जाता है। इसके 15 दिनों तक वे किसी को दर्शन नहीं देते हैं।
15 दिन नहीं देते हैं दर्शन...
भगवान के जगन्नाथ के बीमार होने के बाद मंदिर के कपाट 15 दिन बाद खुलते हैं, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। भगवान जगन्नाथ 20 जून को बीमार हुए थे। तभी से मंदिर के पट बंद कर उनकी स्वास्थ्य सेवा की जा रही है।
ये हैं भगवान का डायट चार्ट...
इन 15 दिनों में अन्न से बना भोग और आहार भगवान को नहीं दिया जाता है। उन्हें सेवित करने वाली प्रत्येक वस्तु का समय निर्धारित है, ये इस प्रकार हैं:
प्रात:काल - विभिन्न प्रकार के फलों का रस
नौ बजे - दूध
दोपहर 12 बजे - छेना का भोग और फलों का रस
शाम चार बजे - फलों का रस
रात में सोने से पहले (करीब साढ़े आठ बजे) - मीठा दूध
दोपहर और शाम में दिया जाता है काढ़ा...
साथ ही दिन में दो बार, दोपहर 12 बजे और शाम सात बजे होने वाली आरती से पहले भगवान जगन्नाथ को औषधियों से तैयार काढ़े का भोग को लगाया जाता है। साथ ही प्रभु भगवान शीतलता प्रदान करने के लिए भी नित्य शीतल लेप और अंगराग सेवा की जाती है।
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