देश का दिल कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के डबरा नामक स्थान पर देश के सबसे बड़े नवग्रह मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर का निर्माण दो साल पहले शुरू हुआ था, जिसका लगभग 65 फीसदी हिस्सा पूरा हो चुका है।
2017 तक बन कर तैयार हो जाएगा मंदिर...
मंदिर का निर्माण करवाने वाली संस्था परशुराम लोक न्यास समिति के अनुसार यह मंदिर तीन मंजिला होगा। इसके 2017 तक बन कर तैयार हो जाने की उम्मीद है। इस मंदिर की ऊंचाई 90 फीट सुनिश्चित की गई है।
राजस्थान के मकराना से बुलाए गए हैं कारीगर...
मंदिर का मुख्य भवन करीब 40 हजार वर्गफीट में बनाया जा रहा है। इसके लिए राजस्थान के मकराना के कारीगरों की 70 सदस्यीय टीम काम कर रही है। मंदिर का कुल परिसर लगभग 7.5 बीघे में विस्तृत होगा। परिसर के अंदर फूल-पौधों से सुसज्जित बाग़ बनाये जाने की योजना पर भी काम चल रहा है।
सबसे ऊपर होगा सूर्य मंदिर...
मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर सूर्य मंदिर होगा। इसके पीछे मान्यता यह है कि सूर्य नवग्रहों के राजा हैं, इसलिए उनका स्थान सबसे ऊपर होना चाहिए। दूसरे तल पर चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु ग्रहों के मंदिर होंगे। इसी तल उनके आदि देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएगी। मंदिर के प्रथम तल पर सत्संग और धार्मिक आयोजनों के लिए एक विशाल हॉल बनेगा।
अभी असम के गुवाहटी में है सबसे बड़ा नवग्रह मंदिर...
उल्लेखनीय है कि अभी तक देश के पूर्वोत्तर के राज्य असम के गुवाहटी में एशिया का सबसे बड़ा नवग्रह मंदिर है। डबरा के इस मंदिर निर्माण पूरा होते ही यह मंदिर पहले नंबर पर आ जायेगा। मंदिर को आम जनता के दर्शनों लिए दिसंबर 2017 तक खोल दिए जाने की योजना है।
निर्माणाधीन मंदिर की कुछ और ख़ास बातें...
लगभग 40 हजार वर्गफीट में बन रहे इस नवग्रह मंदिर की सम्पूर्ण संरचना 108 स्तंभों (पिलर) पर खड़ी होगी। सभी नौ ग्रहों के लिए निर्धारित मंदिरों की दीवारो को ॐ की 108 नक्काशी से सजाया जायेगा। उल्लेखनीय है कि हिन्दू धर्म में 108 संख्या को काफी शुभ माना गया।
2017 तक बन कर तैयार हो जाएगा मंदिर...
मंदिर का निर्माण करवाने वाली संस्था परशुराम लोक न्यास समिति के अनुसार यह मंदिर तीन मंजिला होगा। इसके 2017 तक बन कर तैयार हो जाने की उम्मीद है। इस मंदिर की ऊंचाई 90 फीट सुनिश्चित की गई है।
राजस्थान के मकराना से बुलाए गए हैं कारीगर...
मंदिर का मुख्य भवन करीब 40 हजार वर्गफीट में बनाया जा रहा है। इसके लिए राजस्थान के मकराना के कारीगरों की 70 सदस्यीय टीम काम कर रही है। मंदिर का कुल परिसर लगभग 7.5 बीघे में विस्तृत होगा। परिसर के अंदर फूल-पौधों से सुसज्जित बाग़ बनाये जाने की योजना पर भी काम चल रहा है।
सबसे ऊपर होगा सूर्य मंदिर...
मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर सूर्य मंदिर होगा। इसके पीछे मान्यता यह है कि सूर्य नवग्रहों के राजा हैं, इसलिए उनका स्थान सबसे ऊपर होना चाहिए। दूसरे तल पर चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु ग्रहों के मंदिर होंगे। इसी तल उनके आदि देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएगी। मंदिर के प्रथम तल पर सत्संग और धार्मिक आयोजनों के लिए एक विशाल हॉल बनेगा।
अभी असम के गुवाहटी में है सबसे बड़ा नवग्रह मंदिर...
उल्लेखनीय है कि अभी तक देश के पूर्वोत्तर के राज्य असम के गुवाहटी में एशिया का सबसे बड़ा नवग्रह मंदिर है। डबरा के इस मंदिर निर्माण पूरा होते ही यह मंदिर पहले नंबर पर आ जायेगा। मंदिर को आम जनता के दर्शनों लिए दिसंबर 2017 तक खोल दिए जाने की योजना है।
निर्माणाधीन मंदिर की कुछ और ख़ास बातें...
लगभग 40 हजार वर्गफीट में बन रहे इस नवग्रह मंदिर की सम्पूर्ण संरचना 108 स्तंभों (पिलर) पर खड़ी होगी। सभी नौ ग्रहों के लिए निर्धारित मंदिरों की दीवारो को ॐ की 108 नक्काशी से सजाया जायेगा। उल्लेखनीय है कि हिन्दू धर्म में 108 संख्या को काफी शुभ माना गया।
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