प्रतीकात्मक चित्र
मॉस्को:
भगवान कृष्ण का जन्म जिस प्रकार प्राचीन मथुरा की अंधेरी काल कोठरी में हुआ था, उसी प्रकार मॉस्को का एकमात्र कृष्ण मंदिर किराए की एक इमारत के तहखाने में मौजूद है। इस्कॉन की मॉस्को इकाई द्वारा संचालित हिंदू मंदिर को अस्थायी भूमिगत स्थान पर स्थानांतरित करना पड़ा था। इसे प्रशासन और रूढ़ीवादी धार्मिक समूहों द्वारा असहयोग माना जा रहा है। इस्कॉन ने पहले भी आधिकारिक तौर पर आवंटित की गई जमीन पर मंदिर के निर्माण की कोशिशें की थीं, जो नाकाम रही थीं।
मॉस्को में इस्कॉन के लिए इस मुद्दे को देख रहे साधु प्रिया दास के लिए प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के आगमन ने मास्को में एक कृष्ण मंदिर के निर्माण की उम्मीदें जगा दी हैं।
दास ने आईएएनएस संवाददाता को बताया, "हमें पूरी उम्मीद है कि मोदी जी के वर्तमान कार्यकाल में हमारे मंदिर का निर्माण हो जाएगा।"
हरे कृष्णा आंदोलन के मंदिर निर्माण के प्रयास का इतिहास जितना विचित्र लगता है, उतना ही गूढ़ भी लगता है।
अमेरिकी वंशावली के साथ ही पूजा के अनोखे तरीकों के कारण सरकारी तंत्र में शुरुआती संदेह के बाद 1988 में हरे कृष्णा आंदोलन को पहली बार वैधता दे दी गई थी।
हालांकि इसकी असल मुश्किलें 2004 में शुरू हुई थीं, जब बेगोवया एवेन्यू में एकमात्र मंदिर को एक शहरी विकास परियोजना के कारण नागरिक प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया था। उसके बाद इस्कॉन को 'लेनिनग्रेडेस्काई प्रोस्पेक्ट' में जगह दे दी गई थी। लेकिन रूढ़ीवादी 'रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च' ने इस कदम का कड़ा विरोध किया था, जिसके कारण आखिरकार इसे रोकना पड़ा था।
मास्को के उपनगर में जमीन के एक अन्य टुकड़े पर जब मंदिर निर्माण शुरू होने ही वाला था, तब सरकार ने उसे भी वापस ले लिया।
दास ने कहा, "हमने मंदिर निर्माण के लिए लंबी प्रक्रिया का सामना किया था, लेकिन अंत में सरकार ने जमीन वापस ले ली। लगभग पांच साल पूर्व हमें मंदिर निर्माण के लिए एक और जमीन देने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। मंदिर फिलहाल किराए की एक इमारत में एक तहखाने में है।"
इस्कॉन के मुताबिक, कृष्ण मंदिर केवल 15,000 लोगों की भारतीय आबादी और रूसी राजधानी में रहने वाले 25,000 इस्कॉन अनुयायियों की धार्मिक जरूरतों को ही पूरा नहीं करेगा, बल्कि दक्षिण एशियाईयों के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा।
भारत में मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार होने के साथ ही मास्को के इस्कॉन अनुयायियों की उम्मीदें इस बात से और बढ़ गई हैं कि रूसी दूतावास के आग्रह के बाद भारतीय प्रशासन ने पिछले साल नई दिल्ली में देश के पहले 'रूसी आर्थोडॉक्स चर्च' के निर्माण की इजाजत दे दी थी।
दास ने कहा, "भारत सरकार ने भारत में (रूसी) आर्थोडॉक्स चर्च के निर्माण की इजाजत दे दी है जो कि दोस्ती का एक अच्छा संकेत है। मुझे पूरी उम्मीद है कि जल्द ही रूस में एक हिंदू मंदिर भी बन जाएगा।"
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
मॉस्को में इस्कॉन के लिए इस मुद्दे को देख रहे साधु प्रिया दास के लिए प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के आगमन ने मास्को में एक कृष्ण मंदिर के निर्माण की उम्मीदें जगा दी हैं।
दास ने आईएएनएस संवाददाता को बताया, "हमें पूरी उम्मीद है कि मोदी जी के वर्तमान कार्यकाल में हमारे मंदिर का निर्माण हो जाएगा।"
हरे कृष्णा आंदोलन के मंदिर निर्माण के प्रयास का इतिहास जितना विचित्र लगता है, उतना ही गूढ़ भी लगता है।
अमेरिकी वंशावली के साथ ही पूजा के अनोखे तरीकों के कारण सरकारी तंत्र में शुरुआती संदेह के बाद 1988 में हरे कृष्णा आंदोलन को पहली बार वैधता दे दी गई थी।
हालांकि इसकी असल मुश्किलें 2004 में शुरू हुई थीं, जब बेगोवया एवेन्यू में एकमात्र मंदिर को एक शहरी विकास परियोजना के कारण नागरिक प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया था। उसके बाद इस्कॉन को 'लेनिनग्रेडेस्काई प्रोस्पेक्ट' में जगह दे दी गई थी। लेकिन रूढ़ीवादी 'रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च' ने इस कदम का कड़ा विरोध किया था, जिसके कारण आखिरकार इसे रोकना पड़ा था।
मास्को के उपनगर में जमीन के एक अन्य टुकड़े पर जब मंदिर निर्माण शुरू होने ही वाला था, तब सरकार ने उसे भी वापस ले लिया।
दास ने कहा, "हमने मंदिर निर्माण के लिए लंबी प्रक्रिया का सामना किया था, लेकिन अंत में सरकार ने जमीन वापस ले ली। लगभग पांच साल पूर्व हमें मंदिर निर्माण के लिए एक और जमीन देने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। मंदिर फिलहाल किराए की एक इमारत में एक तहखाने में है।"
इस्कॉन के मुताबिक, कृष्ण मंदिर केवल 15,000 लोगों की भारतीय आबादी और रूसी राजधानी में रहने वाले 25,000 इस्कॉन अनुयायियों की धार्मिक जरूरतों को ही पूरा नहीं करेगा, बल्कि दक्षिण एशियाईयों के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा।
भारत में मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार होने के साथ ही मास्को के इस्कॉन अनुयायियों की उम्मीदें इस बात से और बढ़ गई हैं कि रूसी दूतावास के आग्रह के बाद भारतीय प्रशासन ने पिछले साल नई दिल्ली में देश के पहले 'रूसी आर्थोडॉक्स चर्च' के निर्माण की इजाजत दे दी थी।
दास ने कहा, "भारत सरकार ने भारत में (रूसी) आर्थोडॉक्स चर्च के निर्माण की इजाजत दे दी है जो कि दोस्ती का एक अच्छा संकेत है। मुझे पूरी उम्मीद है कि जल्द ही रूस में एक हिंदू मंदिर भी बन जाएगा।"
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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