हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान के समान ही चंद्र देव को भी पूजा जाता है. हिन्दू धर्म में चंद्र देव की पूजा का भी विशेष महत्व है. अगर आप अमावस्या तिथि के अगले दिन चंद्र दर्शन करते हैं तो उसका विशेष लाभ माना जाता है. आइए जानते हैं चंद्र दर्शन से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में...
क्या है चंद्र दर्शन
चंद्र दर्शन एक हिंदू अनुष्ठान है जो चंद्रमा की पूजा करने के लिए किया जाता है, जिसे चंद्र के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या व्रत के अगले दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, जो इस साल 21 फरवरी है, इस दिन चंद्र दर्शन किए जाते हैं. पंचांग में बताया गया है कि 21 फरवरी को चन्द्रोदय शाम 06 बजकर 59 मिनट पर होगा और अस्त शाम 07 बजकर 50 मिनट पर होगा. ऐसे में इस अवधि में चंद्र दर्शन करने से विशेष लाभ मिलेगा.
चंद्र दर्शन का महत्व
चंद्र सौंदर्य, शांति से जुड़ा है. चंद्र देव को उर्वरता का स्वामी भी माना जाता है, इस दिन जो दंपति संतान की उम्मीद में चंद्र देव की पूजा और दर्शन करते हैं उन्हें विशेष लाभ होता है. इसके अलावा चंद्र मन और भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है और माना जाता है कि इसमें मानव मनोदशा को प्रभावित करने की शक्ति है. चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही व्यक्ति का मन शांत और प्रसन्न रहता है.
ऐसे करें चंद्र देव की पूजा
चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा करना बेहद महत्वपूर्ण होता है. चंद्र दर्शन से पहले स्नान करें और सफेद कपड़े पहनें. इसके बाद चंद्र देवता को गंगाजल युक्त जल या गाय के दूध से अर्घ्य दें. दीप जलाकर उनकी आरती करें. चंद्र को सफेद मिष्ठान जैसे खीर या बर्फी का भोग लगाएं. इससे चंद्र देव प्रसन्न होंगे.
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