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This Article is From Jun 22, 2017

जगन्नाथ रथयात्रा: नीम की पवित्र लकड़ियों से बनते हैं रथ...

मान्यता है कि श्रीकृष्ण जगन्नाथ जी की कला का ही एक रूप हैं. क्या आप जानते हैं इस रथयात्रा से जुड़ी रोचक बातों के बारे में- 

जगन्नाथ रथयात्रा: नीम की पवित्र लकड़ियों से बनते हैं रथ...
जगन्नाथ रथयात्रा इस रविवार से शुरू होने जा रही है. श्री जगन्नाथ जी ही उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता माने जाते हैं. वैष्णव धर्म में मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं. मान्यता है कि श्रीकृष्ण जगन्नाथ जी की कला का ही एक रूप हैं. क्या आप जानते हैं इस रथयात्रा से जुड़ी रोचक बातों के बारे में- 
  • ये सभी रथ नीम की पवित्र और परिपक्व काष्ठ यानी लकड़ियों से बनाये जाते है, जिसे ‘दारु’ कहते हैं. इसके लिए नीम के स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है, जिसके लिए जगन्नाथ मंदिर एक खास समिति का गठन करती है.

  • इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है. 

  • रथों के लिए काष्ठ का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है और उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारम्भ होता है.

  • जब ये तीनों रथ तैयार हो जाते हैं, तब 'छर पहनरा' नामक अनुष्ठान संपन्न किया जाता है. इसके तहत पुरी के गजपति राजा पालकी में यहां आते हैं और इन तीनों रथों की विधिवत पूजा करते हैं और ‘सोने की झाड़ू’ से रथ मण्डप और रास्ते को साफ़ करते हैं.

  • आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा आरम्भ होती है. ढोल, नगाड़ों, तुरही और शंखध्वनि के बीच भक्तगण इन रथों को खींचते हैं. कहते हैं, जिन्हें रथ को खींचने का अवसर प्राप्त होता है, वह महाभाग्यवान माना जाता है.

  • पौराणिक मान्यता के अनुसार, रथ खींचने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है. शायद यही बात भक्तों में उत्साह, उमंग और अपार श्रद्धा का संचार करती है.

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