चार धामों (Char Dham)में से एक केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) के कपाट 6 महीने बाद गुरुवार सुबह 5 बजकर 35 मिनट पर खोल दिए गए. ठंड के बावजूद इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद रहे. भक्तों ने कपाट खुलने के साथ ही हर-हर महादेव के जयकारे लगाए, जिससे पूरी केदार घाटी गूंज उठी. वेदपाठियों और पुजारियों ने कपाट पर वैदिक परंपराओं के अनुसार मंत्रौच्चारण किया, मंदिर की सफाई की और भगवान को भोग लगाया. अब बाबा केदार अगले 6 महीने भक्तों को यहीं दर्शन देंगे.
#WATCH Uttarakhand: Portals of the Kedarnath temple open for pilgrims after a period of six months. pic.twitter.com/FN39K3LXFL
— ANI (@ANI) May 9, 2019
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कपाट खुलने के एक महीने के भीतर जो भक्तगण केदारनाथ आने की योजना बना रहे हैं उनके लिए ये मौसम सबसे सुहाना है. यहां भक्तों को भगवान के दर्शन के अलावा बर्फ से ढकी पहाड़ियों का अदभुत नजारा देखने को मिलेगा.
केदारनाथ में अभी पांच से छह फुट मोटी बर्फ की चादर बिछी है, जिसे हटाने या उसके पिघलने में एक महीने का समय और लग सकता है. फिलहाल चारधाम यात्रा को देखते हुए प्रशासन ने रास्तों से बर्फ हटाने के लिए मजदूर लगाए गए हैं. मंदिर तक पहुंचने वाले सभी रास्तों से बर्फ हटाने का काम लगभग पूरा भी हो चुका है. इस साल सर्दियों में केदारनाथ में 15—20 फुट बर्फ पड़ी जो पिछले कई दशकों में सबसे ज्यादा मानी जा रही है.
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गढ़वाल आयुक्त बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि श्रद्धालुओं के आवागमन को देखते हुए ‘ऑल वेदर रोड'का निर्माण कार्य चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले बंद कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि ‘ऑल वेदर रोड'की वजह से इस बार यात्रा में श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई नहीं होगी बल्कि उनकी यात्रा और सुगम तथा सुरक्षित हो जाएगी. उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग पर कई जगह इस रोड की चौड़ाई 12 मीटर हो गई है जिससे यात्रा में सहूलियत होगी. यात्रा की तैयारियों को लेकर राज्य सरकार के विशेष प्रयासों के बारे में पुरुषोत्तम ने कहा कि इस बार ऋषिकेश और हरिद्वार से चारों धामों को चलने वाली बसों की संख्या को दोगुना करते हुए 16 कर दिया गया है .
बता दें हर साल अक्टूबर-नवंबर माह में सर्दी और बर्फबारी के चलते मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है. इसके बाद अप्रैल-मई में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के शुरू होने का स्थानीय जनता को भी बेसब्री से इंतजार रहता है. छह माह तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु और पर्यटक जनता के रोजगार और आजीविका का साधन हैं और इसीलिए चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है .
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