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Kanwar Yatra 2024: कितने तरह की होती है कांवड़ यात्रा, जानें डाक बम कांवड़ यात्रा का महत्व और इसे लें जाने का तरीका

सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के लिए कांवड़ यात्रा निकालने का खास महत्व होता है. हर साल दो बार फाल्गुन और सावन के महीने में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है, लेकिन यह कितने प्रकार की होती है आइए हम आपको बताते हैं.

Kanwar Yatra 2024: कितने तरह की होती है कांवड़ यात्रा, जानें डाक बम कांवड़ यात्रा का महत्व और इसे लें जाने का तरीका
Kanwar Yatra ka niyam : कांवड़ यात्रा नियम यहां जानिए.

Kanwar Yatra 2024: सावन का पवित्र महीना 22 जुलाई से शुरू हो चुका है और सावन के इस पवित्र महीने में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है, जिसमें देश भर के शिव भक्त कंधे पर कांवड़ (kawad) लिए पवित्र नदियों का जल लेकर शिवालय पहुंचते हैं और यहां पर भगवान शिव (Lord Shiva) का अभिषेक (Shiv abhishek) किया जाता है. हर साल फाल्गुन मास में और सावन मास में दो कांवड़ यात्रा निकाली जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा कितने तरह की होती है और इसमें सबसे कठिन डाक कांवड़ यात्रा क्यों कही जाती है? आइए हम आपको बताते हैं डाक बम कांवड़ यात्रा (Dak bam kawad Yatra) और अन्य कांवड़ यात्राओं के बारे में.

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Photo Credit: ANI



चार तरह की होती है कांवड़ यात्रा
कांवड़ यात्रा एक दो नहीं बल्कि चार तरह की होती है, जिसमें सामान्य कांवड़ यात्रा, डाक बम कांवड़ यात्रा, खड़ी कांवड़ यात्रा और दांडी कांवड़ यात्रा शामिल होती हैं. आइए हम आपको बताते हैं इन कांवड़ यात्रा का तरीका और महत्व

सामान्य कांवड़ यात्रा
सामान्य कांवड़ यात्रा में कांवड़िये भगवा वस्त्र पहने कंधे पर कांवड़ लिए बोल बम के नारे लगाते हुए पवित्र नदियों की तरफ जाते हुए नजर आते हैं. यहां से वह जल लाकर शिवालयों में अभिषेक करते हैं. इस कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िये रुक-रुक कर आराम कर सकते हैं और रास्ते में लगे पंडालों में रात्रि विश्राम भी कर सकते हैं.

डाक बम कांवड़ यात्रा
डाक कांवड़ यात्रा सबसे कठिन यात्रा मानी जाती है, कहा जाता है कि इस कांवड़ यात्रा में बिना रुके शुरुआत से लेकर शिवजी के जल अभिषेक तक लगातार चलते रहते हैं और 24 घंटे में अपनी यात्रा पूरी करते हैं. डाक कांवड़ यात्रा को डाक बम के नाम से भी जाना जाता है. इस कांवड़ यात्रा में कांवड़ियों के एक या दो सदस्य गंगाजल को हाथ में लेकर लगातार बिना रुके हुए बांस की कांवड़ के साथ दौड़ते हैं, एक के थकने के बाद वह अपना कांवड़ दूसरे सदस्य को दे सकते हैं.

खड़ी कांवड़ यात्रा
खड़ी कांवड़ यात्रा में कांवड़ियों के साथ उनकी मदद के लिए कोई ना कोई सहयोगी रहता है. जब कांवड़िये आराम करते हैं तो साथी सदस्य कांवड़ अपने कंधे पर रखकर खड़ी अवस्था में चलने के अंदाज में कांवड़ को हिलाता रहता है.

दांडी कांवड़ यात्रा
दांडी कांवड़ यात्रा भी सबसे कठिन कांवड़ यात्राओं में से एक मानी जाती है, इस कांवड़ यात्रा में भक्त नदी के तट से शिवालयों तक दंड देते हुए पहुंचते हैं. यानी कि कांवड़ मार्ग की दूरी को अपने शरीर की लंबाई से मापते हुए पूरा करते हैं, इस कांवड़ यात्रा को पूरा करने में महीनों का समय लग जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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