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This Article is From May 18, 2022

Kalashtami 2022: कालाष्टमी कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

Kalashtami 2022: कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है. ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी का व्रत 22 मई रविवार को रखा जाएगा.

Kalashtami 2022: कालाष्टमी कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
Kalashtami 2022: इस महीने कालाष्टमी का व्रत 22 तारीख को रखा जाएगा.

Kalashtami 2022: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी (Kalashtami) कहा जाता है. इस काल भैरव (Kaal Bhairav) की पूजा का विधान है. भैरवनाथ को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत (Kalashtami Vrat 2022) रखा जाता है. मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी (Jyeshtha Kalashtami) के व्रत से कष्ट, दुख, भय, पाप और नकारात्मकता दूर हो जाती है. कहा जाता है का काल भैरव के आशीर्वाद से शत्रु भी शांत रहते हैं. धार्मिक मान्यता है कि भैरवनाथ भगवान शिव (Lord Shiv) के क्रोध से उत्पन्न हुए. उन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. जो भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए काशी जाते हैं, उन्हें काल भैरव का दर्शन करना होता है. कहा जाता है कि उनके दर्शन के बिना बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूरा नहीं होता है. आइए जानते हैं ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी व्रत के बारे में.

ज्येष्ठ कालाष्टमी 2022 | Kalashtami 2022

पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मई, रविवार को पड़ रही है. इस दिन अष्टमी तिथि की शुरुआत दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शरू होगी. जबकि अष्टमी तिथि का समापन सोमवार को सुबह 11 बजकर 34 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक कालाष्टमी का व्रत 22 मई को रखा जाएगा. 

कालाष्टमी शुभ योग | Kalashtami 2022 Shubh Yog

पंचांग के अनुसार, द्विपुष्कर योग 22 मई को सुबह 5 बजकर 27 मिनट से दोपहर 12 बजकर 59 मिनट तक है. वहीं इंद्र योग सुबह से लेकर अगले दिन सुबह 3 बजे तक है. इसके अलावा धनिष्ठा नक्षत्र रात 10 बजकर 47 मिनट तक है. माना जाता है कि ये दोनों ही योग और नक्षत्र पूजा-पाठ के लिए शुभ होते हैं. कालाष्टमी व्रत की पूजा 22 मई को सुबह 5 बजकर 27 मिनट से की जा सकती है. 

कालाष्टमी का महत्व | Kalashtami Significance

मान्यता है कि बाबा काल भैरव की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है काल भैरव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. साथ ही उनकी पूजा का नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं. इसके अलावा शत्रु भी शांत रहते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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