
Allora caves : एलोरा की गुफाओ में कई बौद्ध, जैन और हिंदू स्मारक शामिल हैं, लेकिन यहां पर स्थित कैलाश मंदिर पर्यटकों के बीच ज्यादा मशहूर है. इस मंदिर की खासियत है कि इसे एक ही चट्टान को तराशकर बनाया गया है. कारीगरों ने इसे 200,000 टन चट्टान को हटाकर इस विशाल शिव मंदिर का निर्माण किया है, जो कि भारत की सबसे बड़ी वास्तुकला उपलब्धियों में से एक है. इस मंदिर में किसी भी प्रकार का सीमेंट, सरिया का इस्तेमाल नहीं किया गया है, जो कि इस मंदिर को विशेष बनाती है. इसके अलावा और क्या खासियत है कैलाशा मंदिर की जानते हैं आगे आर्टिकल में...
कैलाशा मंदिर की क्या है खासियत
औरंगाबाद में हैकैलाश मंदिर महाराष्ट्र के एलोरा गुफाओं में स्थित है, जो औरंगाबाद से लगभग 30 किलोमीटर दूर है. आपको बता दें कि एलोरा की गुफाएं यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल हैं. जिसका निर्माण लगभग 8 वीं सदी में हुआ था, यानी यह 1200 साल पुराना है. इतिहासकारों के अनुमान के अनुसार इसके निर्माण में 18 वर्ष लगे.
200,000 टन चट्टान गई थी हटाई
इस मंदिर को बनाने के लिए 200,000 टन चट्टान का खनन हाथ के औजारों से किया गया था, जो कि अचंभित करने वाला है.

Photo Credit: novatr.com
ऊपर से नीचे की तरफ हुआ है मंदिर का निर्माण
यही नहीं जब भी हम किसी इमारत का निर्माण करते हैं, तो नीचे से ऊपर की ओर करते हैं. लेकिन इस मंदिर का निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है. जो कि अद्भुत है.
रामायण और महाभारत की कलाकृतियां गई हैं उकेरी
आपको बता दें कि कैलाश मंदिर सिर्फ एक भारत की उत्कृष्ट वास्तुकला का प्रतीक नहीं है, बल्कि आध्यात्मिकता को भी दर्शाता है. इस मंदिर में आपको रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की कलाकृतियां उकेरी मिलेंगी.

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बासाल्ट चट्टान से बना है
इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम(757-783) ने कराया था. यह मंदिर बासाल्ट चट्टान से बना है, जो कि बहुत कठोर होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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