Teja Dashmi 2021 : तेजा दशमी क्यों और कैसे मनाई जाती है, जानिए इसके पीछे की लोक कथा

Teja Dashmi : मध्यप्रदेश और राजस्थान के हर गांव में तेजा दशमी त्योहार की तरह मनाई जाती है. इस दिन तेजाजी के मंदिरों में मेले का भी आयोजन होता है.

Teja Dashmi 2021 : तेजा दशमी क्यों और कैसे मनाई जाती है, जानिए इसके पीछे की लोक कथा

Teja Dashmi 2021 : इस दिन वीर तेजाजी के पूजन की परंपरा है और तेजाजी महाराज के मंदिरों में मेले का भी आयोजन होता है.

नई द‍िल्‍ली :

Teja Dashmi 2021 : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मध्यप्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में तेजा दशमी पर्व मनाने की परंपरा है. इस साल 16 सितंबर, गुरुवार को तेजा दशमी मनाई जाएगी. इस दिन वीर तेजाजी के पूजन की परंपरा है और तेजाजी महाराज के मंदिरों में मेले का भी आयोजन होता है. आइए जानते हैं क्या है तेजा दशमी, क्यों मनाई जाती है और क्या है इसके पीछे की कथा.

तेजाजी महाराज कौन थे
 वीर तेजाजी महाराज का जन्म नागौर जिले के खड़नाल गांव में ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ल चतुर्दशी संवत् 1130 यथा 29 जनवरी 1074 को जाट परिवार में हुआ था. बताया जाता है कि तेजाजी के माता-पिता को संतान नहीं हो रही थी तब उन्होंने शिव पार्वती की कठोर तपस्या की, जिसके बाद उनके घर तेजाजी का जन्म हुआ था. मान्यता है कि जब वे दुनिया में आए तब एक भविष्यवाणी में कहा गया था कि भगवान ने खुद आपके घर अवतार लिया है. 

तेजा दशमी की कथा और मान्यताएं
एक बड़ी ही प्रचलित लोक कथा के मुताबिक तेजाजी राजा बचपन से ही साहसी थे. एक बार वे बहन को लेने उसके ससुराल पहुंचे. वह दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी का था. बहन के ससुराल पहुंच कर तेजाजी को मालूम चला कि एक दस्यु उनकी बहन के ससुराल से सारे गोधन यानि कि सारी गायों को लूटकर ले गया है. ये खबर मिलते ही तेजाजी अपने एक साथी के साथ जंगल में उस डाकू से गायों को छुड़ाने के लिए निकल गए. रास्ते में एक सांप उनके घोड़े के सामने आ जाता है और तेजा को डसने की कोशिश करता है. तेजाजी उस सांप को वचन दे देते हैं कि अपनी बहन की गायों को छुड़ाकर वे वापस वहीं आएंगे, तब सांप उन्हें डस ले, ये सुनकर सांप उनका रास्ता छोड़ देता है.

तेजाजी डाकू से अपनी बहन की गायों छुड़वाने में सफल रहते हैं. डाकुओं से हुए युद्ध के कारण वे घायल होकर लहू से सराबोर हो जाते हैं और ऐसी ही अवस्था में सांप के पास जाते हैं. तेजा को घायल हालत में देखकर नाग कहता है कि तुम्हारा तो पूरा ही तन खून से अपवित्र हो गया है. मैं डंक कहां मारूं? तब तेजाजी उसे अपनी जीभ पर डसने के लिए कहते हैं. मान्यता है कि उनकी इसी वचनबद्धता को देखकर नागदेव उन्हें ये आशीर्वाद देते हैं कि जो व्यक्ति सर्पदंश से पीड़ित है, वह तुम्हारे नाम का धागा बांधेगा तो उस पर जहर का असर नहीं होगा. इसी मान्यता के अनुसार हर साल भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजाजी की पूजा होती है. दशमी पर तेजाजी के मंदिरों में लोगों की भारी भीड़ रहती है, जिन लोगों ने सर्पदंश से बचने के लिए तेजाजी के नाम का धागा बांधा रहता है, वह जाकर धागा खोलते हैं.

कैसे मनाई जाती है तेजा दशमी

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मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ और राजस्थान के कई इलाकों में तेजा दशमी की धूम होती है. तेजा दशमी के अवसर पर कई स्थानों में मेले आयोजित किए जाते हैं. इन मेले में तेजाजी महाराज की सवारी के रूप में शोभायात्रा निकाली जाती है. भोजन और प्रसादी के रूप में भंडारे का आयोजन किया जाता है. सैकडों की तादाद में श्रद्धालु इन मेलों और तेजाजी महाराज के मंदिरों में आते हैं. तेजा दशमी को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह अधिक दिखाई देता है.