Conch Shell: पूजा-अर्चना के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में शंख को देखा जाता है. किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले शंख बजाया जाता है. कहा जाता है कि जिन घरों में पूजा के समय शंख (Shankh) बजाया जाता है वहां दुख, गरीबी और मुश्किलें ज्यादा दिन टिक नहीं पातीं. इसी के चलते इसे रत्न माना जाता है और पूजा के अलावा गहने के रूप में भी धारण किया जाता है. कहा जाता है कि माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) का जन्म समुद्र मंथन में हुआ था और इसी कारण जिस घर में शंख बजाया जाता है वहां माता लक्ष्मी वास करती हैं. यानी शंख बजाने से अनेक मान्यताएं जुड़ी हैं. ऐसे में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि शंख से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों का खास ख्याल रखा जाए.
शंख के नियम | Conch Shell Rules
- मान्यताओं के अनुसार जिस शंख को बजाया जाता है उसे पूजा में नहीं रखना चाहिए क्योंकि बजाया गया शंख जूठा हो जाता है.
- घर में हमेशा दो शंख रखने चाहिए, एक बजाने के लिए और एक पूजा स्थल पर रखने के लिए.
- शास्त्रों के अनुसार इस्तेमाल से पहले हमेशा शंख को गंगाजल से साफ करना चाहिए. गंगाजल न हो तो साफ शुद्ध पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है.
- कहते हैं कि शंख को पूजा घर में सफेद कपड़े में लपेटर ही रखना चाहिए.
- हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को शंख से जल अर्पित करना चाहिए अपितु भगवान शिव (Lord Shiva) और सूर्य देव को कभी भी शंख से जल अर्पित नहीं किया जाता.
- मान्यता है कि मंदिर में रखे गए शंख में पानी भरा होना चाहिए और पूजा के बाद उसका घर में छिड़काव करना चाहिए.
- शंख को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला माना जाता है. भक्त उनकी पूजा-अर्चना में शंख शामिल करते हैं.
- शंख (Conch Shell) को कभी भी गंदगी या कूड़े-कचरे के बीच में नहीं रखना चाहिए, इसे अशुभ माना जाता है.
- यह भी कहा जाता है कि पूजा के शंख (Shankh) को बच्चों से दूर रखना चाहिए ताकि वे उसे मुंह से खेलते हुए जूठा न कर सकें.
- शंख को वक्त-वक्त पर साफ करते रहना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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