
How to offer Belpatra to Lord Shiva: भगवान शिव के भक्त हैं तो मंदिर में जल चढ़ाते हुए बेलपत्र अवश्य चढ़ाए. पूजा में भगवान शिव की प्रिय चीजें अर्पित करने से प्रभु प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा करते हैं. इस पूजा में कुछ खास चीजें जैसे भांग, धतुरा, सफेद रंग के फूल और बेलपत्र (Mahashivratri ki puja me Belpatra) जरूर चढ़ाएं जाते हैं. भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं और उन्हें सही तरीके से चढ़ाने से भगवान शिव भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण कर देते हैं. आइए जानते हैं शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका (Shivling par Belpatra kaise Chadhaye).

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शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका (How to offer Bel patra to Lord Shiva)
तीन पत्तों वाला बेलपत्र
शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए हमेशा तीन पत्तों वाला बेलपत्र का उपयोग करना चाहिए. तीन पत्तों के बेलपत्र को विषम संख्या जैसे 3, 7, 11 या 21 या इसी तरह आगे के अंकों में शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए.
बगैर कटे फटे बेलपत्र
शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए हमेशा साफ सुथरे, बगैर कटे फटे और बगैर दाग धब्बों वाले बेलपत्र का चयन करना चाहिए. बेलपत्र को अच्छी तरह से धोकर ही पूजा के लिए उपयोग करना चाहिए. खराब बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव के नाराज होने का खतरा रहता है.
ताजे बेलपत्र
शिवलिंग पर हमेशा ताजे तोड़े हुए बेलपत्र ही चढ़ाने चाहिए. भगवान शिव की पूजा के लिए भूलकर भी मुरझाए और सूखे हुए बेलपत्र का उपयोग नहीं करना चाहिए.
रखें इन बातों का ध्यान
बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से पहले अच्छी तरह से साफ कर उस पर चंदन से ओम, या श्रीराम लिखें और उसे शिवलिंग पर इस तरह चढ़ाएं कि बेलपत्र का चिकना हिस्सा शिवलिंग को स्पर्श करें. बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें.
जलाभिषेक के बाद बेलपत्र
शिवलिंग की पूजा करते समय सही क्रम का पालन करना जरूरी होता है. पहले शिवलिंग को जलाभिषेक कराएं उसके बाद बेलपत्र चढ़ाएं. बेलपत्र चढ़ाने के बाद जलाभिषेक नहीं कराना चाहिए.
बेलपत्र का दोबारा उपयोग
अगर पूजा के लिए बेल पत्र नहीं हो तो शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र को धोकर फिर से चढ़ा जा सकता है.
भगवान शिव को क्यों प्रिय है बेलपत्र
भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है. पुराणों में वर्णन है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. इस दौरान वे हर दिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करती थीं. मान्यता है देवी गौरी ने सबसे पहली बार भगवान शिव के चरणों में बेलपत्र अर्पित किया था. उनकी अराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी गौरी की मनोकामना पूर्ण कर दी थी. इसलिए कहा जाता है कि भगवान शिव केवल जल और बेलपत्र से उपासना करने वाले भक्तों की मनोकामना भी पूरी कर देते हैं. बेलपत्र चढ़ाने का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से जुड़ा होने के कारण इसे सुखी दांपत्य जीवन के लिए सबसे अच्छा उपाय माना जाता है. शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव के साथ साथ माता पार्वती की भी कृपा प्राप्त होती है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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