फोटो साभार: salangpurhanumanji.com
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                        नवग्रहों में एक सबसे प्रबल गृह शनिदेव के बारे में माना जाता है कि जिस पर शनि की शुभ दृष्टि ना हो तो उसे बहुत पेरशानियों को सामना करना पड़ता है. शनिदेव से केवल इंसान ही नहीं बल्कि देवता भयभीत रहे हैं. लेकिन शास्त्रों के अनुसार शनिदेव परम रामभक्त हुनमान की भक्ति करने वालों का कोई नुकसान नहीं कर पाते हैं. इस बात की पुष्टि गुजरात के सारंगपुर में स्थित भगवान हनुमान के एक प्राचीन मंदिर कष्टभंजन हनुमानजी से होती है. 
यहां के लोग बताते हैं कि शनिदोष से मुक्ति के लिए कष्टभंजन हनुमानजी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. कष्टभंजन हनुमानजी के मंदिर का भवन काफी विशाल है, जो किसी किले के समान दिखाई देता है. कष्टभंजन हनुमानजी यहां सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं और उन्हें महाराजाधिराज कहा जाता है. उनप्रतिमा के आसपास वानर सेना प्रदर्शित की गई है.
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां शनिदेव श्री हनुमानजी के पैरों में स्त्री रूप में बैठे हैं. हनुमानजी के बारे में कहा जाता है कि वे स्त्रियों के प्रति विशेष सम्मान का भाव रखते हैं. लिहाजा उनके चरणों में किसी स्त्री का होना आश्यर्च की बात है. लेकिन इसका सम्बन्ध एक पौराणिक कथा से है जिसमें बताया गया है कि आखिर शनिदेव को क्यों एक स्त्री का रूप धारण कर हनुमानजी के शरणागत होना पड़ा.
शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय में शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था. उनके प्रकोप से आम जनता भयंकर कष्टों का सामना कर रही थी. ऐसे में लोगों ने हनुमानजी से प्रार्थना की कि वे शनिदेव के कोप को शांत करें. श्रद्धालुओं की प्रार्थना सुनकर हनुमानजी शनि पर क्रोधित हो गए.
जब शनिदेव को यह बात पता चली कि हनुमानजी उन पर क्रोधित हैं और युद्ध करने के लिए उनकी ओर ही आ रहे हैं तो वे बहुत भयभीत हो गए. लेकिन शनिदेव जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे स्त्रियों पर हाथ नहीं उठाते हैं. इसलिए भयभीत शनिदेव ने हनुमानजी से बचने के लिए स्त्री रूप धारण कर लिया और शनि ने हनुमानजी के चरणों में गिरकर क्षमा याचना की और भक्तों पर से शनि का प्रकोप हटा लिया.
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                                यहां के लोग बताते हैं कि शनिदोष से मुक्ति के लिए कष्टभंजन हनुमानजी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. कष्टभंजन हनुमानजी के मंदिर का भवन काफी विशाल है, जो किसी किले के समान दिखाई देता है. कष्टभंजन हनुमानजी यहां सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं और उन्हें महाराजाधिराज कहा जाता है. उनप्रतिमा के आसपास वानर सेना प्रदर्शित की गई है.
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां शनिदेव श्री हनुमानजी के पैरों में स्त्री रूप में बैठे हैं. हनुमानजी के बारे में कहा जाता है कि वे स्त्रियों के प्रति विशेष सम्मान का भाव रखते हैं. लिहाजा उनके चरणों में किसी स्त्री का होना आश्यर्च की बात है. लेकिन इसका सम्बन्ध एक पौराणिक कथा से है जिसमें बताया गया है कि आखिर शनिदेव को क्यों एक स्त्री का रूप धारण कर हनुमानजी के शरणागत होना पड़ा.
शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय में शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था. उनके प्रकोप से आम जनता भयंकर कष्टों का सामना कर रही थी. ऐसे में लोगों ने हनुमानजी से प्रार्थना की कि वे शनिदेव के कोप को शांत करें. श्रद्धालुओं की प्रार्थना सुनकर हनुमानजी शनि पर क्रोधित हो गए.
जब शनिदेव को यह बात पता चली कि हनुमानजी उन पर क्रोधित हैं और युद्ध करने के लिए उनकी ओर ही आ रहे हैं तो वे बहुत भयभीत हो गए. लेकिन शनिदेव जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे स्त्रियों पर हाथ नहीं उठाते हैं. इसलिए भयभीत शनिदेव ने हनुमानजी से बचने के लिए स्त्री रूप धारण कर लिया और शनि ने हनुमानजी के चरणों में गिरकर क्षमा याचना की और भक्तों पर से शनि का प्रकोप हटा लिया.
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