Hariyali Teej Vrat Katha: पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए हर साल सावन (Sawan Month)के माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देश भर में हरियाली तीज (Hariyali Teej) का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं और निर्जला व्रत करती हैं. इस साल हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा. विवाहित महिलाओं के साथ साथ अविवाहित कन्याएं भी भगवान शिव और मां गौरी की पूजा करके इस दिन मनवांछित वर की कामना करती हैं. इस दिन निर्जला व्रत करने के साथ साथ विधि विधान से पूजा और व्रत कथा (Hariyali Teej Vrat Katha) भी पढ़ी जाती है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को पूजा के साथ साथ व्रत कथा भी सच्चे मन से सुननी चाहिए. इससे उनकी मनोकामनाएं पूरी होने के योग प्रबल होते हैं.
हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और मां गौरी की पूजा करने के बाद हाथ में अक्षत लेकर व्रत कथा को पढ़ना औऱ सुनना चाहिए. कथा के अनुसार भगवान शिव तो अनन्त और अमर हैं लेकिन हर जन्म में उनको पति रूप में पाने के लिए मां गौरी को काफी तपस्या करनी पड़ी. तब भगवान शिव मां गौरी को उनके पूर्व जन्म की जानकारी देते हुए बताया था कि किस तरह मां गौरी ने महादेव को पति रूप में पाने के लिए हर मुश्किल से मुश्किल मौसम की बिना परवाह किए अन्न और जल का त्याग करके सालों साल व्रत किया. इसी कठोर व्रत औऱ तपस्या के बल पर भगवान शिव मां गौरी को पति के रूप में प्राप्त हुए.
महादेव ने कथा सुनाते हुए कहा कि एक बार नारद मुनि पार्वती के पिता पर्वतराज के घर गए और उनसे कहा कि संसार के पालक भगवान विष्णु आपकी कन्या पार्वती से विवाह करना चाहते हैं. इस बात को सुनकर पर्वतराज बहुत खुश हुए और उन्होंने भगवान विष्णु के इस प्रस्ताव को खुशी खुशी स्वीकार कर लिया. लेकिन जब ये बात पार्वती तक पहुंची तो वो दुखी हो गई क्योंकि वो शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं. पार्वती ने दुखी मन से अपनी ये दुविधा अपनी एक सखी से साझा की और सखी ने उनसे कहा कि सच्चे मन से कठोर तपस्या और व्रत करके वो भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने का वरदान पा सकती हैं.
तब पार्वती मां ने एक बहुत ही संकरी गुफा के अंदर रेत से शिवलिंग बनाया और उसकी पूजा करके वहां कठोर तप करने लगीं. इधर भगवान विष्णु और पार्वती का विवाह कराने को आतुर पर्वतराज पार्वती को खोजने लेकिन वो धरती और पाताल में भी पार्वती को खोज नहीं पाए. पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को उसी गुफा में प्रकट होकर साक्षात महादेव ने पार्वती को दर्शन दिए और उन्हें पत्नी के रूप में हर जन्म के लिए स्वीकार कर लिया. इसके बाद पर्वतराज को भी मां पार्वती का हठ स्वीकार करना पड़ा और इस तरह पार्वती मां की कठोर तपस्या और व्रत के चलते उनको महादेव का साथ मिला. जिस दिन महादेव ने पार्वती को जीवन संगिनी के रूप में स्वीकार किया, ये वही तृतीया थी जिसे हरियाली तीज कहा जाता है. इसके बाद भगवान शिव ने कहा कि आज के बाद ब्रह्मांड में जो भी स्त्री सावन माह की तृतीया को निर्जला व्रत करेगी उसे मनचाहा वर मिलेगा और उसके वर की लंबी उम्र के साथ साथ उसे सभी तरह का सौभाग्य प्राप्त होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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