शरद नवरात्रि (Navratri 2018) शुरू हो चुकी है. पूरी दुनिया में धूमधाम से मां दुर्गा का पर्व मनाया जा रहा है. यह 10 अक्टूबर से लेकर 18 अक्टूबर तक चलेंगे. 9 दिनों तक पूरे विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा की जाती है. कुछ भक्त नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं तो कुछ पहला और आखिरी व्रत रख दुर्गा मां के प्रति अपना प्रेम उजागर करते हैं. हिन्दुओं के लिए नवरात्रि का बहुत महत्व हैं ऐसा माना जाता है कि इस दौरान देवी दुर्गा अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए स्वर्ग से आती हैं. नवरात्रि के दौरान भारत के अलग-अलग कोनों में फैले हुए मां के प्रसिद्ध मंदिरों में भारी संख्या में भक्तों का जमावाड़ा लगता है. आइए जानते हैं वैष्णों देवी के अलावा मां दुर्गा के 7 मंदिर जो बहुत प्रसिद्ध हैं.
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ज्वाला जी मंदिर, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश (Maa Jwala Ji Temple, Kangra, Himachal Pradesh)
51 शक्तिपीठों में शामिल हिमाचल के इस मंदिर में मां दुर्गा के नौ रूपों की ज्योति जलती रहती है. इन नौ ज्योतियों के नाम हैं महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजीदेवी. इन सभी माताओं के दर्शन ज्योति रूप में होते हैं. इस मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है. यहां माता सती की जीभ गिरी थी, इसीलिए यह 51 शक्तिपीठों में शामिल है.
मनसा देवी, हरिद्वार, उत्तराखंड (Mansa Devi Temple, Haridwar, Uttarakhand)
मान्यता है कि इस मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं इसीलिए इस मंदिर का नाम मनसा देवी पड़ा. इस मंदिर में मौजूद पेड़ की शाखा पर भक्त पवित्र धागा बांधते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद वो भक्त यहां वापस आकर धागे को खोलते हैं.
पाटन देवी, बलरामपुर, उत्तर प्रदेश (Devi Patan Temple, Uttar Pradesh)
इस स्थान पर माता सती का दायां कंधा गिरा था. इसी वजह से यह स्थान 51 शक्तिपीठों में शामिल है. देवी पाटन का दूसरा नाम पातालेश्वरी देवी भी है. मान्यता है कि इसी स्थान पर माता सीता धरती मां की गोद में समाकर पाताल लोक चली गईं. इसीलिए इस स्थान का नाम पावालेश्वरी देवी पड़ा. इस मंदिर को कोई प्रतिमा नहीं है, सिर्फ एक चांदी का चबूतरा है, जिसके नीचे सुरंग ढकी हुई है.
नैना देवी मंदिर, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश (Naina Devi, Bilaspur, Himachal Pradesh)
मां दुर्गा का यह प्रसिद्ध मंदिर भी 51 शक्ति पीठों में से एक है. मान्यता है इस स्थान पर माता सती के नेत्र गिरे थे. यहां शेरा वाली माता के अलावा काली माता औकर भगवान गणेश की प्रतिमा भी विराजमान है. मंदिर के पास ही एक गुफा भी है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है.
करणी माता मंदिर, बिकानेर, राजस्थान (Karni Mata Temple, Bikaner, Rajasthan)
इस मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है. आपने कई बार इस मंदिर के बारे में टीवी में सुना और देखा होगा. इस मंदिर में करीब 20 हज़ार के आस-पास चूहे रहते हैं. चूहों के अलावा यहां करणी माता की प्रतिमा स्थापित है. इन्हें मां जगदम्बा का अवतार माना जाता है.
अम्बाजी मंदिर, बनासकांठा, गुजरात (Ambaji Temple, Banaskantha, Gujarat)
51 शक्तिपीठों में शामिल सबसे प्रमुख स्थल है अम्बाजी मंदिर. क्योंकि यहां माता सती का दिल या हृदय गिरा खा. लेकिन यहां कोई कोई भी प्रतिमा नहीं रखी हुई है, बल्कि यहां मौजूद श्री चक्र की पूजा की जाती है. यह मंदिर माता अम्बाजी को संर्पित है और गुजरात का सबसे प्रमुख मंदिर है.
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम (Kamakhya Temple, Guwahati)
इस स्थान पर माता सती की योनी गिरी थी, इसीलिए यहां रक्त में डूबे हुए कपड़े का प्रसाद दिया जाता है. मान्यता है कि तीन दिन जब मंदिर के दरवाजे बंद किए जाते हैं तब मंदिर में एक सफेद रंग का कपड़ा बिछाया जाता है जो मंदिर के पट खोलने तक लाल हो जाता है. इसके अलावा भी इस कामाख्या मंदिर को लेकर कई कथाए प्रचलित हैं. लेकिन 51 शक्तिपीठों में से सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाला यह मंदिर रजस्वला माता की वजह से ज़्यादा प्रसिद्ध है. इस मंदिर की पूरी कहानी पढ़े यहां.
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51 शक्तिपीठों में शामिल हिमाचल के इस मंदिर में मां दुर्गा के नौ रूपों की ज्योति जलती रहती है. इन नौ ज्योतियों के नाम हैं महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजीदेवी. इन सभी माताओं के दर्शन ज्योति रूप में होते हैं. इस मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है. यहां माता सती की जीभ गिरी थी, इसीलिए यह 51 शक्तिपीठों में शामिल है.
मनसा देवी, हरिद्वार, उत्तराखंड (Mansa Devi Temple, Haridwar, Uttarakhand)
मान्यता है कि इस मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं इसीलिए इस मंदिर का नाम मनसा देवी पड़ा. इस मंदिर में मौजूद पेड़ की शाखा पर भक्त पवित्र धागा बांधते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद वो भक्त यहां वापस आकर धागे को खोलते हैं.
पाटन देवी, बलरामपुर, उत्तर प्रदेश (Devi Patan Temple, Uttar Pradesh)
इस स्थान पर माता सती का दायां कंधा गिरा था. इसी वजह से यह स्थान 51 शक्तिपीठों में शामिल है. देवी पाटन का दूसरा नाम पातालेश्वरी देवी भी है. मान्यता है कि इसी स्थान पर माता सीता धरती मां की गोद में समाकर पाताल लोक चली गईं. इसीलिए इस स्थान का नाम पावालेश्वरी देवी पड़ा. इस मंदिर को कोई प्रतिमा नहीं है, सिर्फ एक चांदी का चबूतरा है, जिसके नीचे सुरंग ढकी हुई है.
नैना देवी मंदिर, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश (Naina Devi, Bilaspur, Himachal Pradesh)
मां दुर्गा का यह प्रसिद्ध मंदिर भी 51 शक्ति पीठों में से एक है. मान्यता है इस स्थान पर माता सती के नेत्र गिरे थे. यहां शेरा वाली माता के अलावा काली माता औकर भगवान गणेश की प्रतिमा भी विराजमान है. मंदिर के पास ही एक गुफा भी है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है.
करणी माता मंदिर, बिकानेर, राजस्थान (Karni Mata Temple, Bikaner, Rajasthan)
इस मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है. आपने कई बार इस मंदिर के बारे में टीवी में सुना और देखा होगा. इस मंदिर में करीब 20 हज़ार के आस-पास चूहे रहते हैं. चूहों के अलावा यहां करणी माता की प्रतिमा स्थापित है. इन्हें मां जगदम्बा का अवतार माना जाता है.
अम्बाजी मंदिर, बनासकांठा, गुजरात (Ambaji Temple, Banaskantha, Gujarat)
51 शक्तिपीठों में शामिल सबसे प्रमुख स्थल है अम्बाजी मंदिर. क्योंकि यहां माता सती का दिल या हृदय गिरा खा. लेकिन यहां कोई कोई भी प्रतिमा नहीं रखी हुई है, बल्कि यहां मौजूद श्री चक्र की पूजा की जाती है. यह मंदिर माता अम्बाजी को संर्पित है और गुजरात का सबसे प्रमुख मंदिर है.
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम (Kamakhya Temple, Guwahati)
इस स्थान पर माता सती की योनी गिरी थी, इसीलिए यहां रक्त में डूबे हुए कपड़े का प्रसाद दिया जाता है. मान्यता है कि तीन दिन जब मंदिर के दरवाजे बंद किए जाते हैं तब मंदिर में एक सफेद रंग का कपड़ा बिछाया जाता है जो मंदिर के पट खोलने तक लाल हो जाता है. इसके अलावा भी इस कामाख्या मंदिर को लेकर कई कथाए प्रचलित हैं. लेकिन 51 शक्तिपीठों में से सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाला यह मंदिर रजस्वला माता की वजह से ज़्यादा प्रसिद्ध है. इस मंदिर की पूरी कहानी पढ़े यहां.
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