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This Article is From Nov 29, 2018

8 Points में समझिए गुरुद्वारा दरबार साहिब क्यों है सिखों के लिए इतना खास

नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ने वाले गलियारे (कॉरिडोर) की आधारशिला रखने गए हैं.

8 Points में समझिए गुरुद्वारा दरबार साहिब क्यों है सिखों के लिए इतना खास
गुरुद्वारा दरबार साहिब के बारे में 8 खास बातें
नई दिल्ली: नवजोत सिंह सिद्धू, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर और हरदीप सिंह पुरी पाकिस्तान के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब (Gurdwara Darbar Sahib, Kartarpur) को भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा (Dera Nanak Gurudwara) से जोड़ने वाले गलियारे (कॉरिडोर) की आधारशिला रखने गए हैं. ये गलियारा पिछले 20 सालों से सिर्फ टाला जा रहा है. लेकिन पहली बार इमरान खान (Imran Khan) के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की तरफ से सकारात्मक जवाब मिला. हर बार यह आतंकी गतिविधियों की वजह से रूक जाता है. यहां जानिए कि आखिर भारत में बसे सिख समुदायों के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, करतारपुर का ये गुरुद्वारा दरबार साहिब इतना खास क्यों है?

गुरु नानक जी के बारे में खास बातें​

1. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी करतारपुर के इसी गुरुद्वारा दरबार साहिब के स्थान पर एक आश्रम में रहा करते थे.

2. करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब स्थान पर गुरु नानक जी ने 16 सालों तक अपना जीवन व्यतीत किया. बाद में इसी गुरुद्वारे की जगह पर गुरु नानक देव जी ने अपना देह छोड़ा था, जिसके बाद गुरुद्वारा दरबार साहिब बनवाया गया.

3. मान्यता है कि जब नानक जी ने अपनी आखिरी सांस ली तो उनका शरीर अपने आप गायब हो गया और उस जगह कुछ फूल रह गए. 

4. इन फूलों में से आधे फूल सिखों ने अपने पास रखे और उन्होंने हिंदू रीति रिवाजों से इन्हीं से गुरु नानक जी का अंतिम संस्कार किया और करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब में नानक जी की समाधि बनाई. 
 
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Gurdwara Darbar Sahib, Kartarpur

5. वहीं, आधे फूलों को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत मुस्लिम भक्त अपने साथ ले गए और उन्होंने गुरुद्वारा दरबार साहिब के बाहर आंगन में मुस्लिम रीति रिवाज के मुताबिक कब्र बनाई. 

6. माना जाता है गुरु नानक जी ने इसी स्थान पर अपनी रचनाओं और उपदेशों को पन्नों पर लिख अगले गुरु यानी अपने शिष्य भाई लहना के हाथों सौंप दिया था. यही शिष्य बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए. इन्हीं पन्नों पर सभी गुरुओं की रचनाएं जुड़ती गई और दस गुरुओं के बाद इन्हीं पन्नों को गुरु ग्रन्थ साहिब (Gur Granth Sahib) नाम दिया गया, जिसे सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ माना गया.

7. करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के पार स्थित है जो भारत के डेरा बाबा नानक (Dera Baba Nanak) से करीब चार किलोमीटर दूरी है. आज भी सिख भक्त अपने पहले गुरु के इस गुरुद्वारे को डेरा बाबा नानक से दूरबीन की सहायता से देखते हैं. दूरबीन से गुरुद्वारा दरबार साहिब को देखने का काम CRPF की निगरानी में होता है. 

8. अगर यह गलियारा या कॉरिडोर बन जाता है तो भारतीय सिख गुरुद्वारा दरबार साहिब को बिना वीज़ा के देख सकते हैं. क्योंकि अभी तक करतारपुर स्थित इस गुरुद्वारे को देखने के लिए श्रद्धालुओं को वीज़ा की जरुरत पड़ती है. 

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