Gupt Navratri: गुप्त नवरात्रि पर इस तरह करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, बनी रहेगी मां की कृपा

मां ब्रह्मचारणी का नाम- दो शब्द ब्रह्म अर्थात तप और चारणी अर्थात आचरण से मिलकर बना है, भावार्थ है तप करने वाली देवी मां ब्रह्मचारणी हैं. इन्हें विद्या की देवी और वैरागी कहा जाता है.  माना जाता है कि मां की श्रद्धापूर्वक पूजा-उपासना करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि.

Gupt Navratri: गुप्त नवरात्रि पर इस तरह करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, बनी रहेगी मां की कृपा

Gupt Navratri: नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

नई दिल्ली:

गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना की जाती है. इन्हें विद्या की देवी और वैरागी कहा जाता है. मान्यता है कि आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा करने से बल बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है. मां ब्रह्मचारणी का नाम- दो शब्द ब्रह्म अर्थात तप और चारणी अर्थात आचरण से मिलकर बना है, भावार्थ है तप करने वाली देवी मां ब्रह्मचारणी हैं. गुप्त नवरात्रि में दस महादेवियां मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां काली, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी, मां कमला की पूजा का विधान है. माना जाता है कि मां की श्रद्धापूर्वक पूजा-उपासना करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि.

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मां ब्रह्मचारिणी की महिमा

मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल है. शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की. हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही उनका नाम तपश्चारिणी और ब्रह्मचारिणी पड़ा. अपनी इस तपस्या की अवधि में माता ने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया. उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्रि के दूसरे दिन देवी के इस रूप का पूजन और स्तवन किया जाता है.

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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर शुद्धि कर लें.

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.

अपनी क्षमता अनुसार व्रत करें.

आज के दिन एक साथ मां के दोनों स्वरूपों की पूजा उपासना करें.

मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें.

अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें.

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मां की पूजा अक्षत, सिन्दूर, धूप-दीप और लाल पुष्प, फूल, फल आदि से करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.

मां को लाल रंग का पुष्प जरूर अर्पित करें.

मां को लाल चनुरी, सिंदूर और श्रृंगार के समान अवश्य भेंट करें. कहते हैं कि इससे मां यथाशीघ्र प्रसन्न होती हैं.

मां को भोग भी लगाएं. इस बात का ध्यान रखें कि देवी को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.

पूजा के समय दुर्गा चालीसा सप्तशी का पाठ करें.

धूप और दीपक जलाकर माता का ध्यान करें और आरती करें.

शाम में आरती-प्रार्थना के बाद फलाहार करें.

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पूजा के समय इन मंत्रों का करें जाप

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

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मां ब्रह्मचारिणी को पसंद है ये भोग

मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री बेहद पसंद हैं, इसलिए नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी के पूजन के समय उन्हें चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग जरूर लगाएं. कहते हैं इससे माता जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं. ये भी माना जाता है कि देवी को दूध और दूध से बने व्‍यंजन भी अति प्रिय हैं, इसलिए आज के दिन आप आप उन्‍हें दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगा सकते हैं. कहते हैं कि आज के दिन देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए इन चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है. देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)