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This Article is From Oct 28, 2019

Govardhan Puja or Annakoot 2019: आज है गोवर्द्धन पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अन्नकूट का महत्‍व

Happy Govardhan Puja 2019: गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है. अन्नकूट (Anna Koot) पूजा दीवाली (Diwali) के एक दिन बाद यानी ठीक दीवाली के अगले दिन मनाई जाती है.

Govardhan Puja or Annakoot 2019: आज है गोवर्द्धन पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अन्नकूट का महत्‍व
Govardhan Puja 2019: गोवर्द्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्द्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है
नई दिल्‍ली:

Govardhan Puja / Annakut or Annakoot 2019: दीपावली यानी दीवाली (Deepawali or Diwali) के अगले दिन गोवर्द्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है. इसे अन्नकूट (Annakoot or Annakut) के नाम से भी जाना जाता है. गोवर्दन पूजा के दिन भगवान कृष्‍ण (Sri Krishna), गोवर्द्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है. इतना ही नहीं, इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्‍ण को उनका भोग लगाया जाता है.  इन पकवानों को 'अन्‍नकूट' (Annakoot or Annakut) कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था. यानी भगवान कृष्‍ण ने देव राज इन्‍द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्द्धन पर्वत की पूजा की थी. इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं. 

गोवर्द्धन पूजा या अन्‍नकूट कब है
गोवर्धन पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है. अन्नकूट  (Anna Koot) पूजा दीवाली (Diwali) के एक दिन बाद यानी ठीक दीवाली के अगले दिन मनाई जाती है. इस बार अन्नकूट पूजा 28 अक्‍टूबर को है.

गोवर्द्धन पूजा की तिथ‍ि और शुभ मुहूर्त 
गोवर्द्धन पूजा / अन्‍नकूट की तिथि:
28 अक्‍टूबर 2019 
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 28 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 09 बजकर 08 मिनट से 
प्रतिपदा तिथि समाप्‍त: 29 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक 
गोवर्द्धन पूजा सांयकाल मुहूर्त: 28 अक्‍टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक 
कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट 
  
अन्नकूट क्‍या है?
अन्नकूट पर्व पर तरह-तरह के पकवानों से भगवान की पूजा का विधान है. अन्नकूट यानी कि अन्न का समूह.  श्रद्धालु तरह-तरह की मिठाइयों और पकवानों से भगवान कृष्‍ण को भोग लगाते हैं. मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई. एक और मान्यता है कि एक बार इंद्र अभिमान में चूर हो गए और सात दिन तक लगातार बारिश करने लगे. तब भगवान श्री कृष्ण ने उनके अहंकार को तोड़ने और जनता की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को ही अंगुली पर  उठा लिया था. बाद में इंद्र को क्षमायाचना करनी पड़ी थी. कहा जाता है कि उस दिन के बाद से गोवर्धन की पूजा शुरू हुई. जमीन पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा की जाती है.

गोवर्द्धन पूजा की विधि 
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गोदवर्द्धन पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें.
- अब अपने ईष्‍ट देवता का ध्‍यान करें और फिर घर के मुख्‍य दरवाजे के सामने गाय के गोबर से गोवर्द्धन पर्वत बनाएं. 
- अब इस पर्वत को पौधों, पेड़ की शाखाओं और फूलों से सजाएं. गोवर्द्धन पर अपामार्ग की टहनियां जरूर लगाएं.
- अब पर्वत पर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें. 
- अब हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहें: 
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव: ।।


- अगर आपके घर में गायें हैं तो उन्‍हें स्‍नान कराकर उनका श्रृंगार करें. फिर उन्‍हें रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें. आप चाहें तो अपने आसपास की गायों की भी पूजा कर सकते हैं. अगर गाय नहीं है तो फिर उनका चित्र बनाकर भी पूजा की जा सकती है. 
- अब गायों को नैवेद्य अर्पित करें इस मंत्र का उच्‍चारण करें 
लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।


- इसके बाद गोवर्द्धन पर्वत और गायों को भोग लगाकर आरती उतारें. 
- जिन गायों की आपने पूजा की है शाम के समय उनसे गोबर के गोवर्द्धन पर्वत का मर्दन कराएं . यानी कि अपने द्वारा बनाए गए पर्वत पर पूजित गायों को चलवाएं. फिर उस गोबर से घर-आंगन लीपें. 
- पूजा के बाद पर्वत की सात परिक्रमाएं करें.
- इस दिन इंद्र, वरुण, अग्नि और भगवान विष्‍णु की पूजा और हवन भी किया जाता है.

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