Ghee Sankrantri 2023: आज 17 अगस्त को उत्तराखंड (Uttarakhand) का ये प्रसिद्ध लोकपर्व घी संक्राति (Ghee Sankranti) मनाया जा रहा है. ये पर्व ग्रहों के राजा सूर्य देव के कर्क राशि से निकलकर अपनी सिंह राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है और घी या सिंह संक्राति (Singh Sankranti) के नाम से प्रसिद्ध है. घी संक्राति के अवसर पर लोग नदी स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा अर्चना और दान पुण्य करते है. इस दिन सूर्य देव की पूजा से भाग्योदय का योग बनता है.
संक्रांति का महत्व और पूजा की विधि (Importance of Ghee Sankranti 2023)
शुभ मुहूर्त और योग
17 अगस्त गुरुवार को दोपहर एक बजकर चौवालिस मिनट पर सूर्य देव सिंह राशि में प्रवेश करेंगे. हालांकि स्नान, पूजा और दान प्रात: 6 बजकर 44 मिनट से ही शुरु हो चुका है. सुबह 6 बजकर 44 मिनट से घी संक्राति का पुण्यकाल है और महापुण्यकाल सुबह 11 बजकर 33 मिनट से दोपहर 1 बजकर 44 मिनट तक है. इस वर्ष घी संक्राति के दिन मघा नक्षत्र और परिघ योग है.
पूजा विधि
संभव हो तो घी संक्राति पर नदी स्नान करना चाहिए. घर पर स्नान कर रहे हों तो पानी में गंगाजल मिला लेना चाहिए. साफ वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए. तांबे के लोटे में पानी भर कर उसमें लाल फूल और गुड़ डालकर ओम सूर्याय नम: के मंत्रोच्चार के जल चढ़ाना चाहिए.
घी संक्रांति का महत्व
घी संक्राति के दिन घी के सेवन को शुभ और फलदाई माना गया है. इस पर्व पर घी के सेवन से ज्ञान बढ़ता है और सेहत बेहतर होती है. मान्यता है कि घी संक्राति पर घी का सेवन नहीं करने से अगले जन्म में घोंघे के रूप में जन्म लेना पड़ता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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